Icon to view photos in full screen

"मुझे पता है कि मुझे वंशानुगत विकार है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं अन्य लोगों की तरह जीवन का आनंद नहीं ले सकता"

दूल्हे और दुल्हन ढूँढने के लिये किसी भी पारंपरिक भारतीय तरीके में, पारिवारिक इतिहास एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, विशेष रूप से विकलांगता का इतिहास। विरासत में मिली "बीमारियाँ" खतरे की घंटी बजा देती हैं। लेकिन 2013 में, बिहार के मीनापुर गाँव के उत्तम कुमार ने अपनी होने वाली दुल्हन चंचल कुमारी को यह बताने का निश्चय किया कि उन्हें हीमोफीलिया है, हालाँकि उनका परिवार इसे छुपना पसंद करता। उत्तम को लगा कि अपनी होने वाली पत्नी से अपनी स्थिति छिपाना उचित नहीं होगा, क्योंकि उनका रिश्ता जीवन भर के लिये होने वाला था। चंचल ने उनकी ईमानदारी की सराहना की और उनसे शादी करने के लिये तैयार हो गई। आज उत्तम (32) और चंचल (29) की दो बेटियाँ हैं: आशी आर्यन (8) और अनाया आर्यन जो साढ़े तीन साल की हैं।
 
हीमोफीलिया एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार है जो रक्त के थक्के बनने की क्षमता को प्रभावित करता है; जब कहीं कट जाता है तो सामान्य से अधिक समय तक खून बहता है। हीमोफीलिया से पीड़ित लोगों के मसूड़ों से खून आ सकता है या लंबे समय तक नाक से खून बह सकता है या त्वचा पर बड़े और गहरे घाव हो सकते हैं। उत्तम सिर्फ छह महीने के थे जब उनके शरीर पर नीले निशान दिखाई दिये। उनके माता-पिता को हीमोफीलिया के बारे में सब पता था क्योंकि उनकी माँ के भाई को यह बीमारी थी, और इसलिए वे उसे तुरंत अस्पताल ले गये। डॉ. ए.के. ठाकुर, जिन्होंने उनके विकार को डाइग्नोज़ किया, ने उनके पिता को हीमोफिलिया सोसायटी से जुड़ने की सलाह दी और 2003 में उन्होंने इसके पटना चैप्टर के साथ विधिवत पंजीकरण कराया। उत्तम कहते हैं, "सोसायटी ने अपने समर्थन और जानकारी से मेरे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।" .
 
 उत्तम हीमोफीलिया से पीड़ित व्यक्तियों का काव्यात्मक रूप से वर्णन करते हैं: "हमारा शरीर कच्ची मिट्टी के बर्तन की तरह है जो थोड़े से दबाव से चोटिल हो जाता है या टूट जाता है"। यहाँ तक कि नाखून काटना भी जोखिम भरा है, क्योंकि छोटे से घाव से लगातार खून बह सकता है। उनका कहना है कि उनका रक्त विकार "फैक्टर VII की कमी" के कारण होता है, जो माता-पिता के F7 जीन में एक उत्परिवर्तन है, जो केवल जीन को धारण करने वाले हो सकते है और विकार के कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। जोड़ों पर अनुचित दबाव से आंतरिक रक्तस्राव हो सकता है जिसके लिये असहनीय दर्द को कम करने के लिए फैक्टर VII इंजेक्शन की आवश्यकता होती है। उत्तम कहते हैं, "उस समय यह केवल पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में उपलब्ध था और इसकी कीमत 4,500 रुपये थी, जो मेरे पिता का मासिक वेतन था।"
 
भारतीय रेलवे के कर्मचारी रामजनम दास, जो 2011 में सेवानिवृत्त हुये थे, को अपने बेटे के इंजेक्शन का भुगतान करने के लिये अपने खेत का कुछ हिस्सा बेचना पड़ा। छह साल की उम्र से, जब अत्यधिक रक्तस्राव के कारण उत्तम का दाहिना पैर प्रभावित हुआ, उत्तम को समय-समय पर चोटें लगती रहीं। एक बार, जब वे लगभग आठ साल के थे, वे ऑटोरिक्शा से स्कूल जा रहे थे, तभी उनकी पसलियां ऑटो की लोहे की एक छड़ से टकरा गईं, जिससे आंतरिक रक्तस्राव होने लगा। जब वे लगभग 18 वर्ष के थे तो उनके बाएं पैर में इतनी तीव्र चोट लगी कि दर्द सहन न कर पाने से उन्होंने अपनी जान लेने के बारे में सोचा।
 
जब उनके माता-पिता ने उन्हें एक स्थानीय निजी स्कूल में भर्ती कराया तो उन्होंने वहाँ के शिक्षकों को उसकी स्थिति के बारे में सूचित किया। उत्तम कहते हैं, ''मेरे शिक्षक बहुत परवाह करने वाले थे।'' “जब मैं अपना होमवर्क नहीं करता था तो वे मुझे नहीं मारते थे! एकमात्र सज़ा कक्षा से बाहर भेजा जाना था।” उन्हें शारीरिक प्रशिक्षण से छूट दे दी गई और उनके सहपाठियों को निर्देश दिया गया कि वे उनके साथ किसी भी प्रकार का जबरदस्ती संपर्क न करें। वे कहते हैं, "चूंकि मैं खेल वाले पीरियड के दौरान बाहर जाकर नहीं खेल सकता था, इसलिए मेरे शिक्षकों ने मेरे लाभ के लिये एक कैरम बोर्ड अनुभाग स्थापित किया और वहाँ मुझे एक स्थायी सीट दी।" "पीछे मुड़कर देखने पर उन्होंने जो मेरे लिये किया मैं उन सभी के लिये आभारी महसूस करता हूँ।"
 
स्कूल के बाद उन्होंने राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय इग्नू के माध्यम से बीसीए करने का फैसला किया, आईटीआई प्रमाणपत्र प्राप्त किया और दक्षिण-पश्चिमी रेलवे में प्रशिक्षुता (इंटर्नशिप) हासिल की। वास्तव में, चूंकि उनके पास विकलांगता प्रमाण पत्र है, इसलिए उन्हें रेलवे की नौकरी के लिये चुना गया है, लेकिन उन्हें स्पष्ट रूप से बताया गया था कि उनकी नियुक्ति तभी की जायेगी जब वे उनकी स्थिति को देखते हुए उनके लिये एक विशेष पद बनाएंगे। उनके छोटे भाई गौतम कुमार (28) ने हाल ही में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की है और उनकी बड़ी बहन सीमा कुमारी (38) की शादी हो चुकी है और उनके दो बच्चे हैं।
 
इस बीच, उत्तम ने हीमोफीलिया से पीड़ित लोगों के लिये "एप्रिसिएट" नाम से एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया है और पूरे भारत से लोग इसमें शामिल हुये हैं। चूंकि वंशानुगत विकलांगता को लेकर इतना कलंक है और हीमोफीलिया के बारे में ज्ञान की भारी कमी है, इसलिए वे इस विकार के बारे में जागरूकता फैलाना चाहते हैं। वे हीमोफीलिया से पीड़ित लोगों को जानकारी प्रदान करके उनकी सहायता करते हैं और उन्हें प्रेरित करने के लिये अपने अनुभवों का उपयोग करते हैं। वे कहते हैं, ''जब आप घूमते हैं तो आपको बस थोड़ा सावधान रहना होगा, बस इतना ही।'' वे मोटरसाइकिल चलाते हैं, यात्रा करना, पार्टी करना, दावत करना और संगीत सुनना पसंद करते हैं। संक्षेप में, वे जीवन पूरी तरह से जीते हैं!


तस्वीरें:

विक्की रॉय