तीन साल की तारा बेंगलुरु के एक अस्पताल में ज़िंदगी के लिये संघर्ष कर रही थी और डॉक्टरों ने घोषणा कर दी थी कि अगर वह बच भी गई तो वह "निष्क्रिय अवस्था" में रहेगी और जीवनभर बिस्तर पर ही रहेगी। हैलो? क्या हम पटना की पदक विजेता एथलीट तारा मधुर (24) की बात कर रहे हैं? जी हाँ वही!
लेकिन एक पल के लिये भी यह कल्पना न करें कि किसी ने उन्हें सितारा बनाने के लिये जादू की छड़ी घुमाई। अपनी शैशवावस्था में तारा ने विकास संबंधी देरी प्रदर्शित की और उनकी 75% श्रवण हानि का भी पता चला। उन्हें एक ट्यूब के माध्यम से खाना खिलाना पड़ता था क्योंकि खाना पेट में जाने के बजाय साँस की नली में चला जाता था। फिर उन्हें जानलेवा संक्रमण हो गया और उसे 16 दिनों के लिये वेंटिलेटर पर रखा गया। वह मौत के दरवाजे पर थी। हालाँकि, जब डॉक्टरों ने उन्हें वेंटीलेटर से हटाया, तो उन्होंने एक तेज़ साँस ली और फिर उनकी साँसें चलने लगी! उनकी माँ स्मिता मोहन (53) याद करती हैं, “कमरे में पल्मोनरी विशेषज्ञ चाहते थे कि काश उनके पास इस पल को कैद करने के लिये कैमरा होता। उन्होंने पहले कभी ऐसा कुछ नहीं देखा था”।
अगले कुछ साल स्मिता के साथ-साथ तारा के लिये भी कड़ी मेहनत वाले थे, जिनके ऑटिस्टिक लक्षण स्पष्ट हो गये थे। पेशे से आर्किटेक्ट और इंटीरियर डिज़ाइनर स्मिता ने तारा को एक थेरेपी सेशन से दूसरे तक ले जाने के लिये अपनी नौकरी से ब्रेक लिया। धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से, तारा ने महत्वपूर्ण प्रगति करना शुरू कर दिया। तारा के साथ बातचीत करने के लिये परिवार ने लिखित शब्दों और ड्राइंग की मदद के साथ सांकेतिक भाषा (साइन लैंग्वेज) सीखी। उन्हें अपनी बड़ी बहन के साथ खेलना पसंद था, जिनके साथ उनका सबसे करीबी रिश्ता है। प्रतिका मधुर (27), जो उडेमी में मार्केटिंग मैनेजर के रूप में काम करती हैं, अपने और तारा के बीच के विशेष बंधन का प्रेमपूर्वक वर्णन करती हैं। वे कहती हैं, ''मैं उसकी बहन बनकर खुद को भाग्यशाली और सम्मानित महसूस करती हूँ।''
2009 में स्मिता अपनी बेटियों के साथ अहमदाबाद चली गईं, जिन्हें उन्होंने दिल्ली पब्लिक स्कूल में दाखिला दिलाया। तारा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिये समर्पित स्कूल की शाख_प्रेरणा_ में थीं’। जल्द ही वे अपनी 9वीं और 10वीं कक्षा पूरी करने के लिये ओपन स्कूल एनआईओएस में पंजीकरण करायेंगी। स्मिता कहती हैं, ''वो कहती है कि वो दीदी की तरह काम करना चाहती है।'' "मैंने उससे कहा, देखते हैं तुम्हारी 10वीं कक्षा के बाद क्या होता है।"
हालाँकि, तारा के लिये ऐतिहासिक पल तब आया जब वे 2021 में स्मिता के पिता कृष्ण मोहन के साथ रहने के लिये पटना स्थानांतरित हुये। _आस्था फाउंडेशन_ के डॉ. उमा शंकर ने तारा का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिये उन्हें खेलों में शामिल करने की सलाह दी। अक्टूबर 2022 में, उन्हें स्पेशल ओलंपिक भारत के बिहार चैप्टर में शामिल किया गया। हर कोई इस बात से आश्चर्यचकित था कि वह कितनी तेज़ी से खेलों में शामिल हुई, क्योंकि सिर्फ एक महीने बाद नवंबर 2022 में उन्होंने विशेष ओलंपिक में एथलेटिक्स के लिये दो रजत पदक जीते, और उन्हें 1.5 लाख रुपयों के नकद पुरस्कार से सम्मानित किया गया! प्रतिका कहती हैं, "खेल ने तारा को उद्देश्य और समुदाय, शांति और अपनेपन की भावना दी है।" वे तारा के बदलाव का श्रेय राज्य चैप्टर के खेल निदेशक संदीप कुमार को देती हैं, जिन्होंने अब तक 1200 से अधिक विशेष एथलीटों को प्रशिक्षित किया है।
तारा अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिये ट्रेनिंग ले रही हैं। स्मिता कहती हैं, "पदक जीतने से वह बहुत प्रेरित हुई, क्योंकि उसने सीखा कि यदि आप कड़ी मेहनत करते हैं, तो आप अपने लिये कमा सकते हैं।" तारा की बॉडी क्लॉक उन्हें सुबह 4 बजे जगा देती है (वे अलार्म नहीं सुन सकतीं) और तैयार होने के एक घंटे बाद वो स्मिता को बिस्तर से उठाती हैं और उन्हें तैयार होने के लिये कहती हैं। फिर वे 20 कि.मी. ड्राइव करके खेल अकादमी पहुँचते हैं जहाँ वे सुबह 8 बजे तक अभ्यास करती हैं।
जब तारा खेल नहीं खेलती है, तो उन्हें स्मिता द्वारा डिज़ाइन किये गये एक्टिविटी कॉर्नर में सिरेमिक और मिट्टी के साथ पेंटिंग करना और काम करना पसंद है। रंग और पैटर्न की उनकी निपुणता और गहरी समझ उन्हें अक्षरों वाले मोतियों के साथ सुंदर हार और कंगन बनाने में सक्षम बनाती है। स्मिता कहती हैं, "मैं उन्हें हर बनाई गयी चीज़ के लिये 20 रुपये देती हूँ, इसलिए उन्हें पता है कि उनका काम मूल्यवान है!" तारा को टीवी देखना पसंद है, कैटरीना कैफ को पसंद करती हैं और 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' देखते समय हंस हंस कर लोटपोट हो जाती हैं।
प्रतिका को उम्मीद है कि बातचीत और जागरूकता के प्रसार से विकलांगता को लेकर सामाजिक कलंक कम हो जायेगा। वे कहती हैं, ''तारा एक बहुत ही समझदार और मिलनसार इंसान हैं।'' "उसे लोगों के साथ बातचीत करना पसंद है, और जब लोग भी उसके साथ बातचीत करने की कोशिश करते हैं, यह देखकर बहुत अच्छा लगता है।" वे हमें बताती हैं कि उनकी बहन पिछले एक साल में काफी आत्मनिर्मार हो गई है। "वह सुबह 5 बजे अपनी स्मूदी खुद बनाती है और हाल ही में उसने अपना पसंदीदा नाश्ता - आलू की सब्जी के साथ पूरी और चाय - बनाना भी सीखा है!" कंप्यूटर सीखने की इच्छा जताने के बाद स्मिता ने उन्हें कंप्यूटर क्लास में दाखिला दिला दिया। "वो संगीत भी सीखना चाहती थी, और उसने एक म्यूज़िक टीचर की मांग की!"
स्मिता अब फ़ुल्लटाइम विकलांगता समावेशन में लग गई हैं और विशेष शिक्षा में डिप्लोमा कर रही हैं। वे कहती हैं, ''विशेष ज़रूरतों वाले लोगों के लिये काम करना मेरा लंबे समय से सपना रहा है।'' “मेरी योजनाएं अब तारा की ज़रूरतों के अनुरूप हैं। एक एकल अभिभावक के रूप में, इससे मुझे खुशी मिलती है।'' वे आगे कहती हैं, “तारा को सजना-संवरना और मेकअप करना बहुत पसंद है - हमने अभी एक मेकअप किट खरीदी है। 23 अक्टूबर को उसका जन्मदिन है और हम उसे एक पार्टी दे रहे हैं!”