लद्दाख के लेह जिले के दुर्लभ वातावरण में पहाड़ों के बीच, अपनी 24 वर्षीय बेटी को पीठ पर उठाये, लिंगशेड गांव में 63 वर्षीय इंसान को आपने ऊबड़-खाबड़ चढ़ाई और ढलान पर चलते हुये देखा होगा। वो स्टैनज़िन डोल्मा होंगी जिनकी सबसे छोटी बच्ची स्टैनज़िन ओट्सला को 10 साल पहले मस्तिष्क तपेदिक (ब्रेन टी.बी.) हो गया था।
जब रेवा (REWA) सोसाइटी के त्सेरिंग दोरजे फोटोग्राफर विक्की रॉय को लेह शहर में स्टैनज़िन डोल्मा की बेटी त्सेरिंग चोंडोल (36) के घर ले गये, तब उससे एक दिन पहले ही एक नयी व्हीलचेयर आयी थी। REWA, जो विशेष ज़रूरतों वाले बच्चों की मदद करता है, ने इसे ओट्सला के लिये खरीदने में कामयाबी हासिल की थी। उसे कोरोनोवायरस वैक्सीन का दूसरा शॉट मिला था और उसने व्हीलचेयर - जिसे घर के अंदर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था (ज्यादातर भारतीय घरों की तरह सुलभ नहीं था) - में बाहर पोज़ दिया था। उम्मीद है कि यह दूर-दराज और कम आबादी वाले गाँव लिंगशेड में उपयोगी साबित होगा, जिसे 2019 में ही अपनी पहली मोटर चलाने योग्य सड़क मिली थी!
स्टैनज़िन डोल्मा और उनके पति सोनम पंचोक ऐसे किसान हैं जो अपने खुद के खाने के लिये गेहूं, मटर और अन्य सब्जियां उगाते हैं। वे याक, बकरी और गधों को रखते हैं और याक पनीर और मक्खन की सीमित बिक्री के माध्यम से थोड़ा अतिरिक्त कमाते हैं। उन्होंने अपने पाँचों बच्चों को लेह के स्कूल भेजा, जहाँ वे हॉस्टल में रहते थे। दिसंबर 2011 में ओट्सला कक्षा 7 में थीं जब उन्हें बुरी खांसी हुई और उन्हें असामान्य रूप से थकान और नींद आने लगी। उन्होंने अपनी माँ को फोन किया, जिन्होंने चोंडोल को भेज दिया, और दोनों बहनें अपनी सबसे बड़ी बहन, त्सेवांग डोल्मा (38) के घर में रहीं, जिनकी शादी लेह में एक बढ़ई से हुई थी। वे ओट्सला को एक आमची डॉक्टर (तिब्बती चिकित्सा के चिकित्सक) के पास ले गये, जिन्होंने इसका इलाज आम सर्दी के रूप में किया।
फरवरी 2012 में जब उनकी हालत बिगड़ी तो उन्होंने एलोपैथी का रुख किया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। वो एक सरकारी अस्पताल में तीन महीने के लिये कोमा में चली गई, सी.टी. स्कैन से पता चला कि उन्हें ब्रेन टी.बी. है, और इस स्तर पर दवाएं असरदार नहीं थीं। वो अस्पताल से अपने शरीर के आधे दाहिने हिस्से में लकवा, बोलने में असमर्थता और बाएं पैर और बाएं हाथ में बहुत कम हरकत के साथ निकली। उनकी माँ उन्हें नहलाने और खिलाने सहित उनकी सभी निजी ज़रूरतों का ध्यान रखती हैं। जब वयस्क डायपर बहुत महंगे साबित हुये, तो रेवा (REWA) ने उनके लिये एक कुर्सी वाला शौचालय प्रदान किया।
चोंडोल, जो अपने दो छोटे बच्चों के साथ लेह में रहती हैं और जिनके पति सेना में हैं, ओट्सला को उनके स्कूली दिनों में याद करती हैं: "वो नृत्य का आनंद लेती थी, और चिकन और मटन मोमोज पसंद करती थी।" हालाँकि, रेवा (REWA) में फिजियोथेरेपी के माध्यम से उनकी गतिविधियों में सुधार हुआ है। चोंडोल उन्हें खुद खाने के लिये प्रोत्साहित करती हैं, हालाँकि वे खाना गिराती रहती हैं, और अब वो अपने मोज़े खुद ही उतार सकती है - स्वतंत्रता की लंबी, लंबी सड़क पर छोटे-छोटे कदम।