Icon to view photos in full screen

"बावली दुनिया को यह तय न करने दें कि आप कौन हैं। अपना भाग्य खुद बनायें"

1988 में हाई स्कूल खत्म करने के बाद, आंध्र प्रदेश के गुंटूर के श्रीधर याररामसेट्टी (49) ने अपने दो साल के इंटरमीडिएट कोर्स के लिये बायोलॉजी को चुना क्योंकि वे  मेडिसिन पढ़ना चाहते थे। लेकिन सभी ने उन्हें यह कहते हुए रोका कि, "आप डॉक्टर नहीं बन सकते क्योंकि आप विकलांग हैं।" इसलिये उन्होंने दूरस्थ शिक्षा (डिस्टेंट एडुकेशन) के माध्यम से नागार्जुन विश्वविद्यालय से बीकॉम करने का फैसला किया। बिजनेस  में अपना कैरियर बनाने के बाद उन्होंने एक चलते फिरते खाने के ठेले के लिये एक प्रोजेक्ट प्रपोजल तैयार किया और बैंकों से संपर्क किया। कोई उन्हें कर्ज नहीं देता। वे कहते, "आप इसे नहीं संभाल सकते क्योंकि आप अक्षम हैं।"
 
श्रीधर, एक पोलियो सरवाइवर, क्योंकि उनकी क्षमताओं को लगातार कम करके आंका गया था, उन्होंने एक दृढ़ता से स्वतंत्र – यहाँ तक कि कुछ लोग जिद्दी भी कहेंगे – मनोवृत्ति विकसित की। उन्होंने कभी भी उनके बारे में दूसरों की राय की परवाह नहीं की "क्योंकि लोग आपके बारे में जो सोचते हैं, आप वास्तव में वो नहीं हैं"। वे एक हंसी के साथ बताते हैं कि उसके घनिष्ठ मित्र जिन्हें वे 25 से अधिक वर्षों से जानते हैं, अक्सर उन्हें  "अहंकारी" कहते हैं। लेकिन वे शायद ही अपने हैरानी से उबर पाते हैं जब वे अपनी संशोधित कार को एक ही दिन में गुंटूर से कोयंबटूर तक राष्ट्रीय राजमार्ग पर लगभग 900 किमी चलाते हैं! वे आत्मविश्वास से कहते हैं, "मैं सुबह जल्दी शुरू करता हूँ और आधी रात को पहुँच जाता हूँ"।

श्रीधर गुंटूर में प्याज वितरक याररामसेट्टी सत्यनारायण और गृहिणी लक्ष्मी तुलसी की मझली संतान हैं। जब उन्हें तीन साल की उम्र में पोलियो हुआ, तो इससे उनके दोनों पैरों पर असर पड़ा और उन्होंने कैलिपर्स और बैसाखी का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। उन्हें अक्सर सुनने को मिलता था कि, "आपका दुख आपके पिछले जन्म में किये गये पाप का फल है", जिससे उन्हें घृणा थी। अपनी माँ के अथक सहयोग से, उन्होंने पाँचवीं कक्षा तक घर पर ही पढ़ाई की। छठी कक्षा से उन्होंने सरकार द्वारा संचालित यादव हाई स्कूल में पढ़ाई की; उनके पिता और उनके दादा बारी-बारी से उन्हें साइकिल से स्कूल छोड़ने और लेने जाते थे।
 
1993 में, उनके पिता को दिल का दौरा पड़ने के बाद, श्रीधर ने धीरे-धीरे अपने बिज़नेस की बागडोर संभालना शुरू कर दिया। उन्होंने अपने सबसे अच्छे दोस्त शिव की मोटरबाइक पर पूरे आंध्रा और यहाँ तक ​​कि महाराष्ट्र की यात्रा की, बाज़ार में प्याज विक्रेताओं के साथ बातचीत की, अपने संपर्कों का विस्तार किया और कीमतों का आंकलन करना सीखा। आज वो गुंटूर मार्केट में प्याज के एक स्थापित व्यापारी हैं।

श्रीधर हमेशा अपनी गतिशीलता को अधिकतम करने के तरीकों की तलाश में रहते थे। दिल्ली में इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर से उन्होंने जो 'एक्टिव व्हीलचेयर' खरीदी, उससे उन्हें घूमने की आज़ादी मिल गयी। एक चार पहिया वाहन खरीदने के बाद उन्होंने इसे ऑटोमेट इंडिया, पुणे में मैन्युअल ट्रांसमिशन से ऑटोमैटिक में बदलवा लिया। उनका दृढ़ विश्वास है कि विकलांग व्यक्तियों को सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण सहायक उपकरण प्राप्त करने का अधिकार है, और वे अपने जैसे अन्य लोगों को शारीरिक और आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिये प्रेरित करने के लिये हर अवसर का उपयोग करता है।
  
उनकी बड़ी बहन शशिलता और छोटे भाई उमामहेश्वर की शादी आराम से हो गई थी, लेकिन जब उनकी बात आई, तो न तो उन्होंने और न ही किसी और ने उनके लिये जीवनसाथी की तलाश की। तब फेसबुक पर एक विकलांगता समूह की दोस्त शांति ने सुझाव दिया कि वो विकलांगता समुदाय से साथी की तलाश करें। उन्हें यह आइडिया अच्छा लगा। जैसे कि कहावत है, "आप जिस दर्द गुजरे हैं उसे कोई आप जैसा व्यक्ति ही समझ सकता है।" शांति ने उन्हें धनलक्ष्मी से मिलवाया, जिनके एक पैर में पोलियो हो गया था। उन्होंने बैंक में काम करने उद्देश्य से पोस्ट-ग्रेजुएशन किया। दोनों मिले और उनका बढ़िया तालमेल हो गया। 2013 में उन्होंने शादी कर ली।

श्रीधर ने उनसे कहा, "आधा जीवन तो निकाल गया है, तो क्यों न हम बचा हुआ समय जितना हो सके एक-दूसरे के साथ बितायें?" उनका मतलब था कि अगर वो काम करती रहती हैं, तो हालाँकि इससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, लेकिन उनके उन घंटों का नुकसान होगा जो वे एक-दूसरे के साथ बिता सकते हैं। लगता है उनके तर्क ने उन्हें विश्वास दिला दिया। उनकी एक आठ साल की बेटी है मौनजना, जिसके नाम का अर्थ है (और वे बताते हैं) "चेतना जिसे पूर्ण मौन या निःशब्दता में जाना जाये

श्रीधर के जीवन को करीबी साथियों के एक समूह ने भी समृद्ध किया है, जिनके साथ वे हंसी मज़ाक करते हैं और प्यार से एक-दूसरे को गालियां भी देते हैं। जाहिर हैं, उन्हें विश्वास नहीं था कि उनकी शादी टिकेगी! उन्होंने कहा, आपका व्यक्तित्व इतना आक्रामक है कि आप किसी के साथ में नहीं रह पायेंगे। श्रीधर कहते हैं, ''मैंने उनमें से बहुतों को जब उनकी शादियों में मनमुटाव था [सलाह दी] मदद की है। "अब वे सब उस दिन का इंतज़ार कर रहे हैं जब मैं उनके पास मदद के लिये जाऊँगा।" वे खुशी होकर कहते हैं, "मैंने उन्हें मौका नहीं दिया है!"


तस्वीरें:

विक्की रॉय