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“स्कूल में मेरे कई दोस्त हैं। मुझे बंगाली कहानी की किताबें पढ़ना पसंद है”

सोमनाथ मंडल दुर्गा पूजा की छुट्टियों में घर आया है। 11 वर्षीय, जिसके माता-पिता पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना के झारखाली गाँव में रहते हैं, वो तैराकी का आनंद ले रहा है (उनके घर में एक तालाब है), मिठाई खा रहा है, अपने दोस्तों के साथ खेल रहा है और उनके साथ एक पड़ोसी के घर ग्रुप में टीवी देखने जा रहा है। लेकिन वो थोड़े दिन के लिये ही यहाँ है। वह बल्ली गाँव में 100 किमी से अधिक दूर अपने चाचा के साथ रहता है, जहाँ वह बाली पुरबापारा जूनियर हाई स्कूल की छठी कक्षा में पढ़ता है। उसे छुट्टी के बाद आने वाली परीक्षाओं की तैयारी करनी है।

अपने माता-पिता गौराहरी और बंदिता मंडल की इकलौती संतान सोमनाथ के बाएं पैर में जन्म से एक विकृति थी, जिसके कारण वह सामान्य व्यक्ति की तरह नहीं चल पता था। जब वह लगभग 18 महीने का था, उसके माता-पिता उसे कोलकाता के कुछ अस्पतालों में ले गये, लेकिन डॉक्टरों को विश्वास नहीं था कि सुधारात्मक (करेक्टिव) सर्जरी से मदद मिलेगी। गौराहरी निराश नहीं हुये। इसके विपरीत वो अपने अगले कदम के बारे में बहुत स्पष्ट थे। एक किसान और अंशकालिक मछुआरे होने के नाते, जिनके माता-पिता उन्हें कक्षा चार से आगे पढ़ाने के लिये बहुत गरीब थे, उन्होंने सोमनाथ को अच्छी शिक्षा देने का मन बनाया ताकि वो भविष्य में आत्मनिर्भर हो सके।

जब सोमनाथ तीन साल का हुआ, तो गौराहरी ने उसे अपने भाई (अब शादीशुदा, एक नवजात बेटे के साथ) के पास भेज दिया, जो अपने माता-पिता के साथ बल्ली में रहने वाले एक दर्जी हैं। उनके घर के पास न केवल एक अच्छा स्कूल है बल्कि बाली में झारखली से बेहतर सड़कें भी हैं, जो सोमनाथ का चलना-फिरना आसान बनाती हैं। उसकी दादी उसे व्हीलचेयर पर स्कूल छोड़ने और लेने के लिये जाती हैं। गौराहरी कहते हैं, ''सोमनाथ हमेशा कहता है कि बड़ा होकर वो नौकरी करना चाहेगा।'' "हालाँकि, किस तरह का काम, वो नहीं जानता। हमारे परिवार में और हमारे परिचितों में से कोई भी इतना पढ़ा-लिखा नहीं है कि उसका मार्गदर्शन कर सके।” शायद सुंदरबन फाउंडेशन, जो फोटोग्राफर विक्की रॉय को मंडल के घर ले गये थे, शायद उनके पास कुछ जवाब हों; एनजीओ सामुदायिक विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्रों में काम करता है।

इस बीच, सोमनाथ, जब उसने पहली बार हमसे बात करना शुरू किया था तब थोड़ा सा शर्मीला था, जल्दी ही उसका स्वाभाविक हंसमुख स्वभाव सामने आता है। स्कूल में उसके बहुत सारे दोस्त हैं जो उसे अपने सभी खेलों में शामिल करते हैं। उसे बंगाली में कहानी की किताबें पढ़ना पसंद है। जब वह स्कूल की छुट्टियों के दौरान घर आता है तो वह अपनी माँ द्वारा पकाये गये मांसाहारी भोजन का आनंद लेता है। और ज़ाहिर तौर पर खिलौनों के लिये वो बहुत बड़ा नहीं हुआ है, क्योंकि वो कहता है कि उसे खिलौने वाली कार पसंद है!


गौराहरी का कहना है कि सरकार का मासिक विकलांगता भत्ता 1,000 रुपये केवल सोमनाथ की स्कूली पढ़ाई के खर्चों को आंशिक रूप से पूरा करता है, लेकिन वह अपने वित्तीय संघर्ष के बावजूद अपने बेटे की शिक्षा जारी रखने पर तुले हुये हैं। गौराहरी कहते हैं, ''उसकी विकलांगता के कारण उसके लिये शिक्षा और भी ज़्यादा महत्वपूर्ण है।'' "उसे आत्मनिर्भर होना चाहिये और किसी पर निर्भर नहीं होना चाहिये।"


तस्वीरें:

विक्की रॉय