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“हमारी शारीरिक और भावनात्मक ज़रूरतें भी हैं। हमारे जीवन में एक साथी होना चाहिये"

सबसे छोटा बच्चा आम तौर पर परिवार में सबसे लाड़ला होता है और चेन्नई की रूपा वैराप्रकाश, नी राजेंद्रन (39) भी अलग नहीं थीं। बौनेपन और रीढ़ की हड्डी में चोट के साथ थूतुकुडी जिले में जन्मी, वे बिना एक बार भी यह महसूस किये बड़ी हुयीं कि वो विकलांग हैं। वे एक आकर्षक मुस्कान के साथ कहती हैं, "मेरे माता-पिता बहुत पढ़े-लिखे नहीं थे लेकिन उन्होंने और मेरे चार भाइयों और बहनों ने मुझे प्यार और देखभाल से लाड़ किया।" जब एक डॉक्टर ने उनके पिता को सुझाव दिया कि उनके घर को विकलांगों के अनुकूल बनाया जाये, तो उन्होंने तुरंत एक रैंप और अन्य बदलाव करवाये ताकि उन्हें आसानी हो सके। माता-पिता दोनों ने उनकी शारीरिक और स्वच्छता संबंधी ज़रूरतों की देखभाल की।

रूपा को अब इस बात का पछतावा है कि उन्होंने केवल पांचवीं कक्षा तक ही पढ़ाई की। फिर भी, अपने भाई-बहनों के माध्यम से उन्होंने कंप्यूटर, विशेषकर इंटरनेट के बारे में बहुत कुछ सीखा। धीरे-धीरे, उन्होंने सोशल मीडिया साइटों का पता लगाना शुरू कर दिया, जिसके माध्यम से वे अपने पुराने स्कूल के दोस्तों से जुड़ती थी। उन्होंने चेन्नई में आयोजित एक पुनर्मिलन में जाने का आनंद लिया जहाँ वे 15 साल बाद एक-दूसरे से मिले।

परिवार भावनात्मक रूप से बहुत बुरे समय से गुज़रा जब उनकी माँ के मनोभ्रंश (डिमेंशिया) का पता चला। रूपा प्यार से याद करती हैं, “मेरी माँ ने मेरी इतनी अच्छी देखभाल की। उन्होंने मेरे बाल बनाये और मरने तक मुझे नहलाया”। अपनी माँ की मृत्यु के बाद, उन्होंने धीरे-धीरे घर की ज़िम्मेदारी संभालना शुरू कर दिया, जिसमें किराने का सामान खरीदना और घर का खर्चा चलाना शामिल था। हालाँकि उनके पिता ने उनकी बहुत अच्छी देखभाल की, लेकिन उनपर अधिक बोझ न डालने के लिये उन्होंने अपने जीवन में पहली बार किसी देखभाल करने वाले को काम पर रखा।

एक सफलता तब मिली जब रूपा अपनी पुरानी व्हीलचेयर ऑनलाइन बेचते समय मोहनराज इरोड से मिलीं। मोहन उनके दोस्त और गुरु बन गये। उन्होंने उन्हें विकलांग व्यक्तियों (PWD) के एक व्यापक समूह से जोड़ा, जिसने एक पूरी नई दुनिया खोल दी। वे कहती हैं, "तब तक मैं अन्य विकलांग लोगों के बारे में कुछ भी नहीं जानती थी और अन्य PwD से भी नहीं मिली थी।" 2018 में, उन्होंने और मोहन ने यत्रम ट्रस्ट की शुरुआत की, जो मस्कुलर डिस्ट्रॉफी वाले लोगों के लिये पावर्ड व्हीलचेयर वितरित करने और होम्योपैथी दवाएं देने में मदद करता है।

लेकिन रूपा का कहना है कि उनका सबसे भाग्यशाली वर्ष 2017 था, जब उन्होंने एक पत्रकार से मिलने के बाद एक लोकप्रिय तमिल पत्रिका को अपना पहला इंटरव्यू दिया, जो उनके आत्मविश्वास से प्रभावित था। जब उन्होंने लेख को सोशल मीडिया पर साझा किया, तो उनका नेटवर्क कुछ ही समय में बढ़ गया। उन्हें प्रेरक वार्ता देने के लिये निमंत्रण मिलने लगे। पहली बार उन्होंने किसी कार्यक्रम के लिये कार से अकेले इरोड जाने का साहस जुटाया।

उसी वर्ष उन्होंने पैरालंपिक खेल बोकिया के बारे में सुना। गेंदबाजी से मिलता-जुलता, यह एक सटीक गेंद का खेल है जो गंभीर शारीरिक अक्षमता वाले लोगों द्वारा खेला जाता है। चेन्नई में महीनों के साप्ताहिक प्रशिक्षण के बाद, वे और उनकी टीम कुछ वर्षों तक राज्य के लिये खेली। 2019 में वे एक राष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट के लिये जालंधर, पंजाब गये और स्वर्ण पदक जीता।

एक दोस्त ने उनसे पूछा कि क्या उन्हें मॉडलिंग में दिलचस्पी है। रूपा कहती हैं, "मुझे ड्रेसिंग और मेकअप पसंद है और मैंने तुरंत सोचा, क्यों नहीं?" व्हीलचेयर रैंप-वॉक इवेंट और फोटो शूट उनके लिये स्वाभाविक साबित हुये। वे कहती हैं, "मैं किसी भी अवसर के लिये 'नहीं' कभी नहीं कहती।" उन्होंने शेयर बाजार में दिन के कारोबार की भी कोशिश की लेकिन यह बहुत तनावपूर्ण साबित हुआ और उन्होंने थोड़ी देर बाद हार मान ली।

एक बड़ा मोड़ तब आया जब उन्होंने अपने पिता से जीवन साथी खोजने के बारे में बात की। वे कहती हैं, "ज्यादातर PwD इस विषय पर बात करने से हिचकिचाते हैं और अपने परिवारों से इसका जिक्र करने से भी डरते हैं"। कार्यभार संभालने का फैसला करते हुये, उन्होंने पहले खुद को शादी के लिये चिकित्सकीय रूप से तैयार किया, आवश्यक परीक्षणों के बारे में एक डॉक्टर से जाँच की। इसके बाद उन्होंने मैट्रिमोनियल साइट्स पर अपना रजिस्ट्रेशन कराया। कुछ देर तक तो कुछ नहीं हुआ लेकिन रूपा को पक्का विश्वास था कि उन्हें मैच ज़रूर मिलेगा। और वो सही थीं। जब वैराप्रकाश की प्रोफ़ाइल दिखायी दी, तो वो तुरंत उनकी ओर आकर्षित हो गयीं।

उन दोनों में अच्छी बनी लेकिन पहले तो वे सिर्फ दोस्त बने रहे। फिर उन्होंने वैरा की बातचीत में भाग लेना शुरू किया और विकलांगता की गहरी समझ हासिल की। आखिरकार उन्होंने प्रपोज करने से पहले एक साल तक हर दिन एक-दूसरे से बात की और मार्च 2020 में उन्होंने शादी कर ली।

वैराप्रकाश एक ट्रैवल कंपनी में असिस्टेंट मैनेजर हैं। रूपा कहती हैं, "मेरे पति मेरे माता-पिता से भी ज़्यादा मेरा ख्याल रखते हैं", उनकी आवाज़ गर्मजोशी और गर्व से भरी हुयी है।

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विक्की रॉय