पैट्रिक डिसूजा ने बहुत उत्साह से घोषणा की कि उन्होंने अपने नवीनतम प्रमाणपत्र पर 98 अंक प्राप्त किये हैं, जो उनके पिछले 50 अंकों से अधिक हैं। हमें यह मानने के लिये माफ किया जा सकता है कि वे किसी परीक्षा के बारे में बोल रहे थे जिसे उन्होंने पास किया था। गोवा के 40 वर्षीय पैट्रिक डिसूजा अपने विकलांगता प्रमाण पत्र के प्रतिशत की बात कर रहे थे! उन्हें मांसपेशीय दुर्विकास (मस्कुलर डिस्ट्रॉफी या एमडी) है। उनके हाथ आंशिक रूप से काम करते हैं लेकिन उनके पैर बुरी तरह प्रभावित हैं।
संयोग से, इस बुद्धिमान सरकारी कर्मचारी ने हाल ही में एक परीक्षा दी थी। वर्तमान में राजभाषा संचालनालय (राजभाषा निदेशालय यानी कोंकणी) के एक अपर-डिवीजन क्लर्क, उनका लक्ष्य सिविल सेवा में शामिल होना है और जनवरी में वे गोवा लोक सेवा आयोग के जूनियर स्केल अधिकारी के पद के लिये परीक्षा में बैठे थे। स्कूल में उन्हें पढ़ाई से ज्यादा खेल में दिलचस्पी थी। एक "खोया-पाया ड्रॉपआउट" जो वो खुद को कहते हैं। अपने जीवन की कहानी को उन्होंने जीतने जीवंत और मजाकिया तरीके से बयान किया, हम उसे इस सीमित स्थान में कैद नहीं कर सकते। और "ऑफिस के राजा" और "इस जगह को चलाने वाला चेहरा" के रूप में अपना स्थान पाने से पहले, यह जीवन काफी रंगीन था।
मडगांव में जन्मे, पैट्रिक 10 साल के थे जब उनके पिता की मृत्यु हो गई; उनकी माँ जूली डिसूजा, एक सरकारी स्कूल की टीचर, तब से उनकी प्रेरणा का स्रोत रही हैं। जब वे 14 साल के थे, तब उनकी माँ के भाई ने उनकी चाल में थोड़ा बदलाव देखा। उस साल, एक हड्डी रोग विशेषज्ञ जिसने उनके टूटे हुये हाथ का इलाज किया था, उसने सुझाव दिया कि वे गोवा मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) में अपने पैर की जांच करवाएं। जीएमसी में डॉक्टर ने दो दिनों तक उनका परीक्षण करने के बाद जूली से पूछा कि क्या उन्होंने किसी रिश्तेदार से शादी की है? सजातीय या समान रक्त संबंध विवाह के बच्चों में आनुवंशिक रोग होने की संभावना अधिक होती है, और डॉक्टर शायद यही सोच रहे थे क्योंकि उन्होंने उन्हें बताया कि पैट्रिक को MD था।
पहले तो उनकी माँ और दोनों भाई-बहनों को विकार की गंभीरता का एहसास नहीं हुआ। आखिरकार, वे अभी भी खेलों में सक्रिय थे। उनके दसवीं कक्षा के अंक तो कुछ खास नहीं थे लेकिन उन्हें क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी और टेबल टेनिस खेलना पसंद था। उनकी मांसपेशियों की कमज़ोरी और बॉडीमास में कमी पिछले कुछ वर्षों में इंच दर इंच बढ़ गई। दसवीं कक्षा के बाद वे होटल मैनेजमेंट में डिप्लोमा कोर्स करना चाहते थे क्योंकि उन्हें कुकिंग का शौक था (वो अब भी है!) वे लिखित परीक्षा में पहले स्थान पर रहे, लेकिन मौखिक परीक्षा के दौरान, एक परीक्षक ने देखा कि उनके पैरों में समस्या है। उन्होंने समझाया कि होटल के कीचन में काम करने के लिये आठ से दस घंटे खड़े रहना होता है और सुझाव दिया कि मेज़-कुर्सी वाली नौकरी अधिक उपयुक्त होगी।
निराश होकर, पैट्रिक ने कॉमर्स में अपनी 12वीं कक्षा पूरी की, कॉलेज में प्रवेश करते ही अपनी पढ़ाई में रुचि खो दी, पंजिम में सरकारी पॉलिटेक्निक में शामिल हो गये, जिसने इंजीनियरिंग के साथ-साथ मुफ्त बोर्ड और आवास में डिप्लोमा पाठ्यक्रम की पेशकश की, 'गलत सोहबत' में पड़ गये और बाहर हो गये। तब तक उनकी हालत बिगड़ती जा रही थी और वह बार-बार नीचे गिर रहे थे। उन्होंने टाइपिंग सीखी, कंप्यूटर में एक साल का आईटीआई कोर्स पूरा करने में तीन साल लगे, एक पुजारी के लिये विश्वस्त सेवक की तरह काम किया, एक स्टेशनरी की दुकान (जहाँ एक संभावित प्रेम कहानी को सिर उठाते ही कुचल दिया गया था) में काम किया, और एक अन्य स्टेशनरी की दुकान में काम किया जहाँ उन्होंने बिजनेस के गुर सीखे। आखिरकार उन्होंने पाँच साल में बी.कॉम पूरा करते हुये एक पत्राचार पाठ्यक्रम (कोर्रेस्पोडेंस कोर्स) के माध्यम से ग्रेजुएशन करने का फैसला किया।
इस पूरे समय, पैट्रिक 'विकलांगता आरक्षण' श्रेणी में सरकारी नौकरियों के लिये आवेदन करते रहे, जबकि जूली ने अपनी ओर से अपील करने के लिये लगातार सत्ताधारियों के दरवाजे खटखटाए। उन्होंने 20-25 इंटरव्यूज़ दिये और असफल रहे। मई 2008 में उन्हें अपने माता-पिता की शादी की सालगिरह के मौके पर एक इंटरव्यू के लिये कॉल आया। पिछली रात पार्टी करने के बाद, वे देर से उठे थे और एक और बेकार का काम करने के मूड में नहीं थे लेकिन जूली ने कहा, "कम से कम मुझे मेरी सालगिरह पर तो खुश करो।" उन्हें पैट्रिक को अपने प्रमाण पत्र जमा करने और इंटरव्यू पैनल से मिलने की प्रक्रिया के लिये धक्का लगाना पड़ा। अगस्त में जब उन्हें नियुक्ति पत्र मिला तो उन्हें अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हुआ।
पैट्रिक अब अपनी काया की कठोर गिरावट को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते थे। उन्होंने फरवरी 2015 में व्हीलचेयर का उपयोग करना शुरू कर दिया था, लेकिन इसे अपने कार्यालय के कर्तव्यों में बाधा न बनने देने के लिये दृढ़ थे। जैसा कि उनकी माँ ने उनसे कहा, “तुम्हारे पास लड़ने की भावना है। तुम हमेशा अपने डर और निराशा को छुपाते हो।" हालाँकि उन्होंने अब एक पूरे समय देखभाल करने वाले को नियुक्त किया है, वे शौचालय जाने, स्नान करने और खुद कपड़े पहनने के लिये अपने शरीर को दृढ़तापूर्वक बिस्तर से बाहर निकालते हैं। वे पंजिम में सरकारी क्वार्टर में रहते हैं जो ऑटोरिक्शा से ऑफिस से सिर्फ 15 मिनट की दूरी है। सप्ताहांत में वे मडगांव घर जाते हैं।
उनका खाना बनाने का जुनून जिंदा है। वे कहते हैं, "कोई भी मेरी दाल से बेहतर नहीं बना सकता"। माँस के विभिन्न व्यंजनों में से उन्हें पोर्क विंदालू और चिकन कैफरियल जैसी गोवा के विशेष व्यंजन बनाना पसंद है। कभी-कभी, पैट्रिक-द-कवि फूट पड़ता है। वे लिखते हैं, "असल में कभीकभार दर्द और आंसुओं का मैं बुरा नहीं मानता," और एक पॉप गीत के बोल पर ज़ोर देते हुये वे जारी रखता है: "मैं वहीं रहूंगा जहाँ रोशनी मुझ पर चमक रही है।"