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“मेरा सपना है कि मुझे सरकारी नौकरी और कार मिले और मैं नुक्कड़ परिवार के साथ रहूँ”

कैफ़े सिर्फ़ मिलने-जुलने की जगह से कहीं बढ़कर हो सकता है। यह आम लोगों के लिए सीखने की जगह, विकलांग व्यक्तियों के बारे में जानने और उनसे जुड़ने का एक ख़ुशनुमा तरीका हो सकता है। यह विकलांग व्यक्तियों को समाज की मुख्यधारा में सहज रूप से शामिल करने का भी एक तरीका हो सकता है।
 
जब प्रियांक पटेल ने 2013 में रायपुर में नुक्कड़ टी कैफ़े की शुरुआत की थी, तब छत्तीसगढ़ में विकलांग व्यक्तियों द्वारा संचालित कैफ़े एक नई अवधारणा थी। आज यह कैफ़े की एक चेन है जिसमें चार (रायपुर में तीन और भिलाई में एक) कैफ़े हैं और इनमें हाशिए के समुदायों के 70 से ज़्यादा लोग काम करते हैं। नुक्कड़ में काम करने वालों में बहरेपन, बौद्धिक अक्षमता और बौनेपन के शिकार व्यक्ति, ट्रांसजेंडर व्यक्ति (भिलाई कैफ़े में) और तस्करी के सर्वाइवर शामिल हैं।
 
इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग ग्रेजुएट प्रियांक ने आईटी उद्योग में प्रवेश लिया था, लेकिन उन्हें लगा कि यह उनका असली पेशा नहीं है। सप्ताहांत में वे गैर सरकारी संगठनों के साथ वॉलंटियर करते थे। चार साल बाद उन्होंने यह काम छोड़ दिया, जब उन्हें इंडिया फेलो सोशल लीडरशिप प्रोग्राम के लिए चुना गया, जो हर साल देश भर से 25 लोगों को चुनता है, ताकि युवा भारतीयों के लिए एक शिक्षण मंच बनाया जा सके और बदलाव लाया जा सके। कई राज्यों के ग्रामीण समुदायों की उनकी यात्राओं ने हमारे बीच ज़रूरतमंदों और हाशिए पर पड़े के प्रति उनकी आँखें खोल दीं। महाराष्ट्र के अम्बेगांव तालुक के एक गाँव में एक महत्वपूर्ण पल आया, जहाँ उनकी मुलाकात एक युवा, कुशल क्रिकेट खिलाड़ी से हुई, जो खेलते समय लगी चोट के कारण बिस्तर पर पड़ा था।
 
विकलांगों के लिए रोज़गार के अवसरों की ज़रूरत को समझते हुए, उन्होंने एक ऐसा आदर्श स्थान बनाने का फ़ैसला किया, जो मुख्यधारा और हाशिए पर पड़े लोगों के बीच एक सेतु का काम करे, जो न केवल विकलांगों को रोज़गार दे, बल्कि उनके प्रति समाज को संवेदनशील भी बनाए। फिर नुक्कड़ का जन्म हुआ, एक ऐसा नुक्कड़ जहाँ लोग “चाय, समुदाय और बातचीत” के लिए मिल सकते थे। 2019 में, प्रियांक को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा ‘विकलांग व्यक्तियों के लिए सर्वश्रेष्ठ नियोक्ता’ का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। 2020 में, उन्हें नेशनल सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ एम्प्लॉयमेंट फॉर डिसेबल्ड पीपल और माइंडट्री से हेलेन केलर पुरस्कार मिला।
 
जब विक्की रॉय जून 2023 में रायपुर के जल विहार कॉलोनी वाले नुक्कड़ कैफ़े में गए, तो उनकी मुलाकात डुमन साहा, डागेश्वर, मनीष खुंटे, वीणा खरे और रितिक सोनी से हुई। मनीष को बौनापन है, जबकि बाकी सभी बधिर हैं। डुमन (27) रायपुर के पाँच लोगों के परिवार से हैं और उन्होंने 12वीं कक्षा पास की है। वे 2020 में नुक्कड़ से जुड़े और आज एक कपड़ों  और फैंसी स्टोर में काम करते हैं। उसी साल शामिल हुए मनीष (24) ने 12वीं पास की थी और उनके पास कंप्यूटर एप्लीकेशन में डिप्लोमा था। आज वे नगर निगम कार्यालय में काम करते हैं। जाहिर है, नुक्कड़ का अनुभव इसके कर्मचारियों के आत्मविश्वास को बढ़ाता है और उनके लिए दूसरे रास्ते भी खोलता है।
 
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के दही गाँव की रहने वाली वीणा (27) हाल ही में शामिल हुई थीं, जब विक्की ने फोटो-शूट किया था। आज वे नुक्कड़ की न्यू राजेंद्र नगर शाखा में काम करती हैं। रायपुर जिले के परसट्ठी गाँव के डागेश्वर (23), जिन्होंने पांचवीं कक्षा पूरी की थी और 2023 में नुक्कड़ में शामिल हुए थे, वहाँ अभी भी वेटर के रूप में काम कर रहे हैं।
 
प्रियांक याद करते हैं कि उन्होंने बधिर व्यक्तियों को काम पर रखना कैसे शुरू किया। बधिर युवाओं का एक समूह विश्व बधिर दिवस मनाने के लिए दान मांगने कैफ़े में आया था। प्रियांक ने उनके संगठन से संपर्क किया और पूछा कि क्या वे उनमें से कुछ को काम पर रख सकते हैं। जांच-परख के आधार पर उन्होंने एक युवा को चुना जो कैफ़े के करीब रहता था। वो थे  नीलेश सिंह कुशवाह, प्रियांक द्वारा काम पर रखे गए पहले बधिर व्यक्ति। वे कहते हैं, "हम साथ-साथ सीख रहे थे।" "मैंने उसे सिखाया कि नुक्कड़ कैसे काम करता है और आतिथ्य (होस्पिटेलिटी) मानदंड क्या हैं। उसने मुझे सांकेतिक भाषा सिखाई।" नीलेश ने खुद ही अपने और दोस्तों को नुक्कड़ के साथ काम करना शुरू करने के लिए आमंत्रित किया और छह महीने के भीतर उनके पास तीन बधिर कर्मचारी थे।
 
प्रियांक कहते हैं कि आजकल भर्ती मुख्य रूप से मौखिक रूप से होती है क्योंकि कई लोगों को इस पहल के बारे में पता चल गया है। आज सभी कर्मचारी, चाहे वे सुनने में सक्षम न हों, सहज संचार सुनिश्चित करने के लिए सांकेतिक भाषा सीखते हैं। मेन्यू कार्ड में सांकेतिक भाषा में कोड शामिल हैं, जिससे ग्राहक बधिर कर्मचारियों द्वारा काम करने पर आसानी से ऑर्डर कर सकते हैं। सभी ग्राहक टेबल पर रखे कागज़ और कलम से भी ऑर्डर लिख सकते हैं।
 
जब नए लोग जुड़ते हैं तो शुरुआत वे वेटर के रूप में करते हैं और अपनी रुचि और कौशल के आधार पर, बाद में वे शेफ, कैशियर या इन्वेंट्री मैनेजर जैसे पदों पर जा सकते हैं। शैडो लर्निंग यानि साथ-शाथ रहकर सीखने की प्रक्रिया में, सीनियर कर्मचारी लगातार जूनियरों को प्रशिक्षित करते हैं, जो कौशल विकास में मदद करता है। प्रियांक कहते हैं, "हमने एक पारिवारिक माहौल बनाया है।" निश्चित रूप से, जब हमने हाल ही में मनीष से भविष्य के लिए उनकी उम्मीदों के बारे में पूछा तो उन्होंने जवाब दिया: "सरकारी नौकरी पाना, कार खरीदना, सफल होना - और नुक्कड़ परिवार का हिस्सा बने रहना।" प्रियांक अपने कर्मचारियों को न केवल जीविकोपार्जन का अवसर दे रहे हैं, बल्कि आत्म-सम्मान और पहचान भी दे रहे हैं। साथ ही, अपने छोटे से तरीके से, वे हाशिए पर पड़े तबकों और व्यापक समाज के बीच की बाधाओं को कम कर रहे हैं।


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विक्की रॉय