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"जल्दी हार मत मानो। एक दरवाज़ा बंद हो भी जाये, तो दूसरा खुल जाता है”

जब पार्टियों में सुनाई जाने वाली कहानियों की बात आती है, तो कुछ कहानियां "जब मैं अमिताभ बच्चन से मिला ..." से शुरू होने वाली कहानियों से आगे निकल सकती हैं। नरसिंह राव बोंगुराला की सुपरस्टार के साथ हुयी मुलाक़ात से पहले हुई घटनाओं के साथ एक स्क्रिप्ट राइटर एक दिलचस्प फिल्म की कहानी रच सकता है। 

हैदराबाद के 47 वर्षीय, जिन्हें 12 साल की उम्र में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (एमडी) का पता चला था, एक वेबसाइट और ग्राफिक डिजाइनर हैं। वे फिल्मों के शौकीन और अमिताभ के प्रबल प्रशंसक भी हैं। 2016 में उनके बेटे साई मणिकांत तेजा (21) ने उन्हें एक वैश्विक कला नेटवर्किंग साइट की भारत शाखा, टैलेंटहाउस इंडिया द्वारा आयोजित हिंदी फिल्म "तीन" के लिये एक पोस्टर डिज़ाइन की प्रतियोगिता के बारे में बताया। विजेताओं को मुंबई में बिग बी से मिलने का मौका मिलेगा, और उनके पोस्टर उनकी होम सिटीज़ में होर्डिंग्स पर दिखाये जायेंगे।

नरसिंह ने अपने डिज़ाइन प्रस्तुत किये। जब टैलेंटहाउस ने उन्हें ईमेल किया कि वे 12 विजेताओं में से एक हैं तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। सुपरस्टार सुपर व्यस्त होने के कारण उनसे मुलाकात के लिये एक तारीख को ब्लॉक नहीं कर सकते थे और कम समय देकर शेड्यूल कर देते हैं। टैलेंटहाउस ने जून में एक रात नरसिंग को यह कहते हुये बुलाया कि उन्हें अगली सुबह आठ बजे की फ्लाइट में सवार होना है। उन लोगों को पता नहीं था कि वे एक व्हीलचेयर उपयोगकर्ता हैं जिन्हें बहुत मदद की ज़रूरत थी! जब उन्होंने अपनी विकलांगता की सीमा के बारे में बताया तो कंपनी ने कहा कि वे उनकी पत्नी ज्योति (38) और उनके बेटे के टिकट के लिये भी भुगतान करेंगे, और मुंबई में हवाई अड्डे पर उनसे मुलाकात करेंगे।

सुबह आठ बजे एयर इंडिया की फ्लाइट लेट हो गई। दोपहर तक कार्यक्रम स्थल पर पहुँचना नामुमकिन था। नरसिंग ने घबराकर एयर इंडिया के कर्मचारियों से संपर्क किया और उन्हें विश्वास दिलाया कि यह वाकई एक आपात स्थिति है। उन्होंने उनके साथ सहानुभूति व्यक्त की और दयालुता से परिवार को दुबई जाने वाली एक निजी एयरलाइन की उड़ान में स्थानांतरित कर दिया। लेकिन नरसिंग को अपने इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर में देखकर एयरलाइन के कर्मचारियों ने कहा कि बोर्ड पर बैटरी की अनुमति नहीं है। आज कोई भी एयरलाइन आपत्ति नहीं उठाएगी, लेकिन याद रखें, 2016 विकलांग व्यक्तियों के अधिकार (RPwD) अधिनियम बमुश्किल दो महीने पहले पारित किया गया था और किसी को भी इसके नियमों की जानकारी नहीं थी। उन्हें व्हीलचेयर निर्माण कंपनी को फोन करना पड़ा ताकि वे बैटरी की स्पेसिफिकेशन की पुष्टि करने के लिये एयरलाइन से बात कर सकें।

फ्लाइट मुंबई इंटरनेशनल में समय पर उतरी लेकिन टैलेंटहाउस के लोग कहीं नज़र नहीं आये। वे घरेलू टर्मिनल पर एयर इंडिया की उड़ान का इंतजार कर रहे थे! उनके द्वारा गड़बड़ी को सुलझाने के बाद, चीजें सुचारू रूप से चलीं। मंच पर एक रैंप था और उन्होंने मंच के सबसे दूर कोने में नरसिंह और परिवार को रखा ताकि जब उनका नाम पुकारा जाये तो वे तेजी से अपने हीरो के पास जा सकें। और इस तरह से वो जिसे अपने जीवन का सबसे अविस्मरणीय दिन कहते हैं, वो समाप्त हुआ।

संयोजित अंश: नरसिंग का पोस्टर कभी भी मूवी साइनबोर्ड पर नहीं दिखाई दिया क्योंकि हैदराबाद ने यातायात सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुये सभी होर्डिंग्स पर प्रतिबंध लगा दिया था!

नरसिंह ने निश्चय ही एक यादगार जीवन व्यतीत किया है। एमडी एक अपक्षयी (डीजेनेरेटिव) बीमारी होने के कारण उन्होंने समय के साथ अपनी गतिशीलता खो दी। दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से हाई स्कूल पूरा करने के बाद, वे लगभग छह वर्षों तक घर पर रहे, टीवी पर क्रिकेट देखते रहे और अंग्रेजी, हिंदी और तेलुगु में किताबें, क्रिकेट पत्रिकाएं और अन्य सामग्री पढ़ते रहे। 23 साल की उम्र में, उन्होंने पीडब्ल्यूडी के लिये पीसीओ (सार्वजनिक टेलीफोन बूथ) की सरकारी योजना के लिये आवेदन किया और एक पीसीओ चलाया, जिससे वे एक दिन में 40-60 रुपये कमाते थे। तब तक उनके भाई ने एक पर्सनल कंप्यूटर खरीद लिया था और नरसिंह इसके प्रति आकर्षित हो चुके थे। उन्हें कम्प्युटर पर गेम खेलते हुये देखकर, उनके एक दोस्त ने सुझाव दिया कि वो अपनी आय बढ़ाने के लिये कुछ और काम, जैसे पत टाइपिंग और रिपोर्ट का काम करें।

25 साल की उम्र में उन्होंने शादी कर ली। वे अपना कौशल बढ़ाना चाहते थे, उन्होंने डेस्कटॉप प्रकाशन में एक महीने के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम पर विचार किया, लेकिन यात्रा करना मुश्किल होने के कारण उनके भाई ने पाठ्यक्रम में भाग लिया और उन्होंने जो सीखा वो उन्हें सिखाया। डीटीपी उनकी आजीविका का एकमात्र साधन बन गया। उन्होंने पत्रिकाओं से शुरुआत की और किताबों की ओर बढ़े; 2003-2008 तक उन्होंने 50 पुस्तकें प्रकाशित कीं। धीरे-धीरे उन्होंने सभी उभरती हुई वेब तकनीकों में महारत हासिल कर ली। वे लगभग 18 वर्षों से ग्राफिक डिजाइनिंग, वेब डिजाइनिंग और कंटेंट मैनेजमेंट के क्षेत्र में हैं, और कई कॉरपोरेट्स के लिये एक्सेसिबिलिटी कंसल्टेंट भी हैं। वे गर्व के साथ कहते हैं और यह सही भी है, "कोई अवसर नहीं' की स्थिति से मैंने अवसरों को अपने पास बुलाया है"।
उनका अगला कदम दूसरों के लिये अवसर पैदा करना था। एक पैसा लिये बिना उन्होंने लगभग 100 लोगों को वर्ड प्रोसेसिंग, ग्राफिक डिज़ाइन और वेब टेक्नोलॉजी में प्रशिक्षित किया है। 2013 से वे WOW (वंडर ऑन व्हील्स) फाउंडेशन नामक एक एनजीओ की शुरुआत करते हुए विकलांगता के साथ जी रहे व्यक्तियों (PwDs) के लिये डिजिटल और पर्यावरणीय पहुँच पर काम कर रहे हैं। लगातार दो वर्षों तक उन्होंने पीडब्ल्यूडी सशक्तिकरण के लिये काम करने वाले सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति के लिये तेलंगाना सरकार का राज्य पुरस्कार जीता।

नरसिंग कहते हैं, "विकलांगता जीवन का अंत नहीं है।" "हमें स्वतंत्र रूप से आना-जाना करने में सक्षम होना चाहिये, जिसके लिये सभी सार्वजनिक स्थानों को विकलांगों के अनुकूल बनाया जाना चाहिये।"


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विक्की रॉय