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“मेरे पिता ने मुझसे कहा, यह मत सोचो कि तुम विकलांग हो; तुम कुछ भी कर सकती हो"

31 साल की मोनिका का कुलनाम (सरनेम) नहीं होने की एक फेरदार वजह है। जब उनके पति परवीन को स्कूल में भर्ती कराया गया, तो उनके पिता, जिन्होंने पाया कि परवीन नाम के दर्जनों अन्य छात्र थे, तो उन्होंने परवीन का नाम परवीन जाटव लिखवा दिया। फिर सबने उन्हें जाट कहना शुरू कर दिया और इसलिए उन्होंने अपना कुलनाम छोड़ दिया। 2013 में जब मोनिका ने उनसे शादी की तो उन्होंने उनके नक्शेकदम पर चलने का फैसला किया।
 
मोनिका हमें बताती हैं, "यहाँ तक कि हमारे आधार कार्ड पर भी केवल हमारा पहला नाम ही लिखा हुआ है।" यह एकमात्र विशेषता नहीं है जो वह अपने 40 वर्षीय पति के साथ साझा करती हैं। दोनों को बचपन में पोलियो के कारण चलने में अक्षमता है। दोनों बैसाखी का प्रयोग करते हैं। और दोनों चुलबुले इंसान हैं जो अपने निजी जीवन के बारे में हमसे बात करने को तैयार थे।
 
मोनिका का जन्म और पालन-पोषण लोनी, गाजियाबाद में हुआ था। उनके पिता लेहरी सिंह एक बस कंडक्टर थे और माँ कैलाशवती एक गृहिणी (अब वे जीवित नहीं हैं)। वे उससे ज़्यादा प्यार करते थे क्यूंकी वे सबसे छोटी थीं - अपनी बहन निधिलता और भाइयों सौरव और गौरव के बाद चौथी संतान। प्रकाश मॉडल स्कूल में वो अकेली विकलांग बच्ची थी जहाँ उन्होंने 10वीं की पढ़ाई पूरी की थी। हालाँकि स्कूल उनके घर के ठीक पीछे था, लेकिन उन्हें वहाँ ले जाना पड़ा। वो वह याद करती हैं कि सातवीं कक्षा में एक दिन वो रोती हुई घर आई क्योंकि वो दौड़ पूरी नहीं कर पाई थीं; बाकी सभी बच्चे तेजी से भागे और वो बहुत पीछे रह गई। उनके पिता ने उनसे कहा, "अपने आप से यह मत कहती रहो, 'मैं विकलांग हूँ, मैं कुछ नहीं कर सकती।' तुम सब कुछ कर सकती हो।"
 
ऐसा लगता है कि लेहरी सिंह मोनिका के लिये एक बहादुर शख्सियत थे, जो अक्सर उनकी बातों के उदाहरण देती रहती हैं। वो कहती हैं कि उन्होंने लगातार उन्हें प्रेरित किया और उनसे अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। वो उनसे कहा करते थे, "आपके पास कुछ भी नहीं रहता है, माता-पिता, भाई-बहन या धन कुछ भी नहीं।" "केवल ज्ञान ही आपके साथ रहता है, हमेशा।" हालाँकि उन्होंने एनआईओएस ओपन स्कूलिंग सिस्टम के माध्यम से 12वीं कक्षा पूरी की, लेकिन उन्हें इस बात का अफ़सोस होता है कि उन्होंने अपने पिता की बातों को गंभीरता से नहीं लिया, जैसा कि उनके भाई-बहनों ने किया है: निधिलता एक वकील हैं, सौरव एक कंपनी में सुरक्षा गार्ड हैं और गौरव उत्तर प्रदेश पुलिस बल में हैं।
 
परवीन के पिता हमेशा से चाहते थे कि परवीन के लिये उनके ही जैसी विकलांगता वाली दुल्हन ढूंढी जाये। उनका मानना था कि यह एक बराबर का जोड़ा होगा, जो ससुराल उनके वालों को भविष्य में अपनी बेटी पर एक विकलांग व्यक्ति के बोझ तले दबे होने के बारे में हँगामा करने से रोकेगा। मोनिका के चाचा और परवीन के बहनोई थे जिन्होंने उनके गठबंधन की व्यवस्था की थी। परवीन का जन्म यहीं नई दिल्ली के सावित्री नगर में हुआ था और उनका पूरा परिवार इसी इलाके में रहता है। परवीन ने मोनिका से मिलने के लिये लोनी की यात्रा की और उनकी पहली बातचीत व्यावहारिक मुद्दों पर केंद्रित थी: “हम दोनों विकलांग हैं; क्या हम घर का सारा काम कर सकते हैं?” उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि वे कर सकते हैं, और खुशियों की मिठाई तुरंत बांटी गई। परवीन मज़ाक में कहते हैं: "वो बहुत सुंदर थी और मैंने तुरंत अपने माता-पिता को हाँ कह दिया, लेकिन तब से उसका वजन थोड़ा बढ़ गया है!" वे फोन पर एक दूसरे से बात करने लगे; दरअसल परवीन ने सगाई से पहले ही मोनिका को एक फोन गिफ्ट किया था। उन्होंने शादी के बाद उनके लिये एक बैसाखी भी खरीदी (तब तक चलने-फिरने में वे किसी सहायता का उपयोग नहीं कर रही थीं)।
 
परवीन पिछले 20 सालों से केबल ऑपरेटर हैं। वे कहते हैं, "मैं पूरा कामकाज देखता हूँ, केबल सेवाएं प्रदान करने के लिये सारे काम करता हूँ"। मोनिका विकलांग व्यक्तियों के लिये काम करने वाले एक एनज_सार्थक_ द्वारा संचालित तीन महीने का ऑनलाइन, व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण पाठ्यक्रम कर रही हैं; वे इसे पूरा करने के बाद नौकरी पाने की उम्मीद करती हैं। दंपति का बेटा यथार्थ (8) पास के चिराग दिल्ली इलाके के एक हाई स्कूल में चौथी कक्षा में पढ़ता है। “मैं उसे गणित पढ़ाती हूँ,” मोनिका कहती है, “और वो इस विषय में कक्षा में सबसे अधिक अंक प्राप्त करता है।” यथार्थ को क्रिकेट खेलने में मज़ा आता है और जब वह लंच के समय अपना टिफिन-बॉक्स खोलता है तो वह जानता है कि अगर मोनिका ने सैंडविच पैक किया है तो उसकी लौटरी लग गयी है! परवीन का कहना है कि उनकी पत्नी "बहुत हंसी मज़ाक" के साथ उनके मन को हमेशा खुश रखती हैं।
 
मोनिका का कहना है कि उन्हें घर की सफाई करते समय गाने सुनना बहुत पसंद है, उनका पसंदीदा गाना हिंदी फिल्म "लाडला" का "तेरी उंगली पकड़ के मैं चला" है। शायद यह कोई इत्तेफाक नहीं है कि फिल्म में हीरो की माँ व्हीलचेयर का इस्तेमाल करती हैं...

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विक्की रॉय