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"जब जीवन कठिन हो जाता है, तो पीछे बैठकर ध्यान से देखने की कोशिश करें। हर चीज के लिये प्रतिक्रिया की ज़रूरत नहीं होती"

रसोई के चाकू से अंगूठे पर ज़रा सा चीरा एक औसत व्यक्ति को बेहद सरल कार्य करने में असमर्थ बना सकता है। जब आप चाबी घुमाने की कोशिश करते हैं या दरवाजे को बंद करते हैं, प्याज काटते हैं या आटा गूंधते हैं, तो दर्द आपको याद दिलाता है कि हर उंगली आपके लिये कितनी महत्वपूर्ण है। बेशक आपका शरीर अपने किसी भी अंग के काम न करने का आदी और अनुकूल हो सकता है, लेकिन इसमें समय और अभ्यास लगता है।

विजयवाड़ा के मोहित मजेती (23) का जन्म दस के बजाय केवल चार अंगुलियों के साथ हुआ था। एक छोटे बच्चे के रूप में वो अपनी रोज़मर्रा की गतिविधियों - लिखने के लिये पेंसिल पकड़ना, जूते के फीते बांधना, अपनी शर्ट को बटन बंद करना, अपनी उंगलियों से खाना - को पूरा करने के लिये संघर्ष करते थे। जैसे ही उन्होंने अपनी किशोरावस्था में प्रवेश किया, उन्होंने कैरम जैसे खेलों से परहेज किया जिसमें अच्छे मोटर कौशल की आवश्यकता थी। हालाँकि उनके शरीर ने बड़े होने के साथ-साथ अनुकूलन करना सीख लिया, लेकिन जीवन में बाद में भी चुनौतियां आईं। उनके इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में (उनका विषय इंस्ट्रुमेंटेशन था) बिजली का सर्किट बनाते समय तारों को छीलना और जोड़ना और उपकरणों का उपयोग करना मुश्किल था। आज भी, जिम में भार उठाते समय, हालाँकि उसकी बाहें मज़बूत हैं, उनकी उंगलियां एक निश्चित सीमा से अधिक वज़न नहीं उठा पाती हैं।

लेकिन हमें उनकी अक्षमताओं से ध्यान हटा देना चाहिये और घर के देखभाल करने वाले माहौल की ओर मोड़ना चाहिये जो उनकी कई क्षमताओं को सामने लाया है। मोहित और उनके भाई कार्तिकेयन राजा मजेती (52), जो एक किराने की दुकान चलाते हैं, और राधिका मजेती (47) के घर पैदा हुये थे, और वे 10 सदस्यों वाले संयुक्त परिवार का हिस्सा थे, जिसमें राजा के बड़े भाई और परिवार शामिल थे। दोस्तों और खुशियों से भरे बचपन को याद करने वाले मोहित कहते हैं कि उनके चाचा के परिवार ने उनके सभी प्रयासों में उनका साथ दिया और उन्हें प्रोत्साहित किया, जबकि उनके माता-पिता और टीचरों ने उनकी विकलांगता से निपटने में उनकी मदद में बहुत समय लगाया।

2016 में मोहित ने आईआईटी खड़गपुर की प्रवेश परीक्षा में सफलता हासिल की। यहीं से उनकी आत्म-खोज की यात्रा शुरू हुयी। उनका शैक्षणिक बोझ पहले वर्ष में अपेक्षाकृत हल्का था, तो वे कॉलेज फोटोग्राफी क्लब 'क्लिककेजीपी' में शामिल हो गये, जहाँ उन्होंने फोटोग्राफी प्रदर्शनियों में भाग लिया और वार्षिक कैलेंडर बनाये। जब तक वे अपने चौथे वर्ष में पहुँचे तब तक वे वीडियोग्राफी में छानबीन कर चुके थे; उनके एक यूट्यूब (YouTube) वीडियो को 160K बार देखा गया!

अपने दूसरे वर्ष में, जिमखाना क्लब के मीडिया सचिव के रूप में, उन्होंने कार्यक्रमों को कवर किया और वार्षिक न्यूज़लेटर प्रकाशित करने में मदद की। लेकिन अपने तीसरे वर्ष में जाकर जब उन्हें एबिलिम्पिक्स - विशेष रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिये डिज़ाइन की गई व्यावसायिक कौशल प्रतियोगिताओं में उनकी अद्वितीय प्रतिभा को उजागर करने में सक्षम करना - का पता चला, तब उन्हें अपने जीवन का सही ध्येय मिला। पूर्वी ज़ोन का प्रतिनिधित्व करते हुये, उन्होंने नेशनल एबिलिम्पिक एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया द्वारा आयोजित फोटोग्राफी प्रतियोगिता में भाग लिया और 2018 में उन्होंने कांस्य पदक जीता। वे इस साल मई में मॉस्को में होने वाले 10वें अंतरराष्ट्रीय एबिलिम्पिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिये उत्सुक हैं।

मोहित को घूमना बहुत पसंद है। उन्होंने हिमालय के लिये ट्रेक और भूटान की यात्राएं आयोजित की हैं, और भारत के पूर्वी, उत्तरी और दक्षिणी क्षेत्रों को कवर करने वाली रोड ट्रिप और ट्रेक पर भी गये हैं - पश्चिमी क्षेत्र उनकी सूची में अगला है। वे कहते हैं, "मैं भाग्यशाली हूँ कि मैं अपने जुनून: फोटोग्राफी और इंजीनियरिंग दोनों को आगे बढ़ाने में सक्षम हूँ"।

2020 में वह एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में एक वैश्विक कॉर्पोरेट फर्म में शामिल हुये। हालाँकि, उनके सपने यहीं खत्म नहीं होते। वे पेरिस विश्वविद्यालय में अपने लिये एक सीट आरक्षित करने में सक्षम हो गये हैं और मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री हासिल करने के लिये जल्द ही जा रहे हैं, हालाँकि उनका परिवार उन्हें विदेश भेजने के लिये थोड़ा अनिच्छुक है। उनकी माँ का उनके लिये एक ही संदेश है, 'देश ने तुम्हें बहुत कुछ दिया है। वापस आओ और देश को वापस दो।”

उनके जीवन का मंत्र उनके कंप्यूटर वॉलपेपर पर कैद है: "कोशिश करना कभी बंद न करो, लगे रहो चाहे आप गिरो या उठो।"


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विक्की रॉय