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"मैं दुनिया घूमना चाहती हूँ, और हो सके, तो दुनिया के हर देश में जाना चाहती हूँ"

जब चेन्नई के श्री चोकलिंगम शास्त्रीय कवि सुब्रमण्यम भारथियार और भारतीदासन के छंद गाते थे और अपनी चार साल की पोती को श्रद्धेय तिरुक्कुरल सुनाते थे, तो उन्होंने कुछ असामान्य देखा। वो रसोई में सही समय पर स्टील के बर्तन पर थपथपाना शुरू कर देती और साथ में गाने की भी कोशिश करती थी। उसकी संगीत प्रतिभा को पहचानने वाले सतर्क दादाजी की 2017 में मृत्यु हो गयी, लेकिन उन्हें पार्श्व गायिका (प्ले बैक सिंगर) बनते देखने तक वे जीवित रहे।

चेन्नई की ज्योति के. (21) नेत्रहीन पैदा हुयी थीं, और जब वो चार साल की थीं, तब उनके ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार का पता चला था। जैसे ही उनके पिता को पता चला कि उनकी बच्ची में कई तरह की अक्षमताएं हैं, उन्होंने तलाक के लिये शोर मचाना शुरू कर दिया। दुर्भाग्य से वे भारत में अपवाद नहीं हैं, जहाँ विकलांग बच्चों के पिता अपने परिवारों को त्यागने के लिये जाने जाते हैं। ज्योति के नाम में लगा 'के.' उनकी माँ कलाइसेल्वी (47) के नाम के लिये है, जो उनके लिए ताकत का स्तंभ रही हैं। और कलाई अपने माता-पिता चोकलिंगम और शांता को उनके कट्टर समर्थन - वित्तीय और भावनात्मक दोनों - के लिये आभार देती हैं। वे कहती हैं कि जब भी वो उदास होती थीं, उनके पिता उन्हें याद दिलाते थे, "तुमको 24 घंटे ज्योति का सहारा बनना है और कभी हार नहीं माननी है।"

ज्योति की व्यवहार संबंधी परेशानियों ने उन्हें मुख्यधारा की कक्षाओं में फिट नहीं होने दिया, और यौवनावस्था ने उनकी बेचैनी बढ़ा दी, लेकिन कलाई ने पाया कि संगीत का उन पर आश्चर्यजनक रूप से शांत प्रभाव होता था। उन्होंने उसे एक सरकारी कला महाविद्यालय में संगीत की कक्षा में दाखिला दिलाया और तभी से उनकी विलक्षण प्रतिभा खिल उठी। एक निजी ट्यूटर द्वारा प्रशिक्षित, ज्योति ने अपनी 12वीं कक्षा की परीक्षा पास की, लेकिन संगीत में पूर्णकालिक रूप से पढ़ाई की, संगीत में तीन साल का डिप्लोमा और वायलिन में बी.ए., और साथ ही कीबोर्ड में महारत हासिल की। उन्होंने संगीत शिक्षक प्रशिक्षण (DMT) में डिप्लोमा भी विशिष्ट योग्यता के साथ पास किया और वर्तमान में मद्रास विश्वविद्यालय में एम.ए. संगीत की पढ़ाई कर रही हैं।

ज्योति ने धीरे-धीरे पेशेवर क्षेत्र में प्रवेश किया। उन्हें संगीत कार्यक्रमों, शो और टीवी कार्यक्रमों में प्रदर्शन करने और वायलिन पर कर्नाटक संगीतकारों के साथ जाने के अवसर मिलने लगे। फिर 2017 में जब उन्होंने तमिल फिल्म "रेक्का" से "कन्नम्मा" गाना गया, तो काफी प्रसिद्धि मिली, और ये वीडियो वाइरल हो गया। तमिल संगीत निर्देशक जी.वी. प्रकाश ने जब इसे ट्विटर पर देखा तो वे इतने प्रभावित हुये कि उन्होंने ज्योति को अपनी फिल्म "अडंगादे" में "निलविन निरमुम" गीत के साथ पार्श्व गायिका के रूप में पेश करने का फैसला किया। गीत रिलीज़ होने के ठीक एक हफ्ते बाद 5 अप्रैल 2017 को उनके दादा की मृत्यु हो गई। 2019 में इसने बेस्ट डेब्यूटेंट फीमेल, स्पेशल मेंशन के लिये गलाट्टा नक्षत्र अवार्ड जीता।

फ़िर अंतर्राष्ट्रीय निमंत्रण भी आने लगे। उन्हें अबू धाबी, स्कॉटलैंड, मलेशिया, इटली और ऑस्ट्रेलिया में प्रदर्शन के लिये आमंत्रित किया गया। वे कहती हैं कि उनके यात्रा के पसंदीदा अनुभवों में हवाई अड्डे, गगनचुंबी इमारतें और उनके आसपास के लोगों का शोरगुल है। अपने डीएमटी का अच्छा उपयोग करने के लिये, उन्होंने फेसबुक पर ऑनलाइन संगीत और वायलिन की शिक्षा देने वाले विज्ञापन डाले। आज उनके पास लंदन, दुबई और यूएसए में छात्र हैं।

ज्योति को 2019 में राष्ट्रपति भवन में सांस्कृतिक कार्यक्रम 'दिव्य कला शक्ति' के हिस्से के रूप में भारत के राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री के सामने प्रदर्शन करने पर गर्व था। 2021 में, 3 दिसंबर (विश्व विकलांगता दिवस) पर, उन्होंने राष्ट्रपति की ओर से विज्ञान भवन, नई दिल्ली में विकलांग व्यक्तियों के लिये राष्ट्रीय रोल मॉडल पुरस्कार प्राप्त किया। 

आज, ज्योति संगीत अध्ययन, ऑनलाइन कोचिंग सत्र, और संगीत कार्यक्रम और रिकॉर्डिंग स्टूडियो कार्यक्रम के बीच व्यस्त हैं। स्वतंत्र रूप से काम का कौशल हासिल करने के लिये जब भी संभव हो वे रसोई में अपनी माँ की मदद करती हैं। उनके यश का नवीनतम पल इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है, जब उन्होंने कीबोर्ड बजाने के साथ-साथ 3 घंटे 38 सेकंड में सभी 1330 तिरुक्कुरल गाये। ब्रह्मांड में कहीं न कहीं उनके दादा मुस्कुरा रहे होंगे!

तस्वीरें:

विक्की रॉय