कक्षा में सबसे निचले पायदान पर रहने वाले बच्चे के प्रति एक औसत टीचर की आम प्रतिक्रिया होती है, "तुम मेहनत से पढ़ाई नहीं कर रहे हो।" बहुत कम लोग इस संभावना से परिचित होते हैं कि बच्चे में सीखने की अक्षमता हो सकती है जिसके लिये शीघ्र हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।
दिल्ली में दोपहिया और ऑटोरिक्शा मरम्मत की दुकान चलाने वाले वेल्डर विजय कुमार (42) को समझ नहीं आ रहा था कि उनकी बेटी हर्षिता सोनी (12) पढ़ाई में क्यों पिछड़ रही है। “गणित, हिंदी, अंग्रेजी, सामाजिक अध्ययन - हर टीचर मुझे एक नोट भेजता था, जिसमें शिकायत होती थी कि वो अच्छे नंबर नहीं ला रही थी। महामारी के दौरान हालात तब और खराब हो गये जब उसकी दो साल तक ऑनलाइन कक्षाएं चलीं।'' चूँकि उनका बेटा आर्यन कुमार सोनी (8) हमेशा अपनी कक्षा में टॉप करता था, विजय को दोनों के बीच तुलना करने का लालच आया होगा।
सौभाग्य से, दिल्ली स्थित एनजीओ सार्थक घटनास्थल पर दिखाई दिया। सार्थक सीखने की अक्षमताओं को पहचानने और जल्द से जल्द हस्तक्षेप प्रदान करने के बारे में कार्यशालाएं आयोजित करता है। वे सरकारी और निजी दोनों स्कूलों के साथ-साथ उन स्थानों पर भी जाते हैं जहाँ आसपास बच्चे होते हैं, जैसे आंगनवाड़ी (सरकार द्वारा संचालित क्रेच) और अस्पताल। वर्तमान में लगभग 300 बच्चों ने उनके सीखने के कार्यक्रम में नामांकन किया है, जिनमें से लगभग आधे दिल्ली में सत्र के लिये व्यक्तिगत रूप से आते हैं, जबकि बाकी यूपी, बिहार, झारखंड और जम्मू और कश्मीर से ऑनलाइन शामिल होते हैं।
सार्थक पिछले तीन वर्षों से न्यू कॉन्वेंट पब्लिक स्कूल में शिक्षकों के लिये सत्र आयोजित कर रहे हैं, जहाँ हर्षिता पढ़ती है। इस साल की शुरुआत में, स्कूल काउंसिलर ने उन्हें हर्षिता के बारे में सचेत किया था जिसके नंबर कभी-कभी शून्य या एक तक गिर जाते थे। उन्होंने उसका परीक्षण किया और पाया कि हालाँकि वह समझने में अच्छा प्रदर्शन करती थी लेकिन भूलने की बीमारी के साथ-साथ उसका संख्यात्मक कौशल भी कमज़ोर था।
पाँच महीने पहले हर्षिता ने हर शनिवार और स्कूल की छुट्टी के दिन सार्थक में कोचिंग क्लास लेना शुरू किया। सार्थक की मनोवैज्ञानिक गुंजन कंडपाल ने हर्षिता के साथ काम करने के लिये उपयोग की जाने वाली विधियों के बारे में बताया। वह सीखने की चीज़ों को छोटे-छोटे भागों में तोड़ती हैं और अवधारणाओं को समझाती हैं। बच्चे को जो सिखाया गया होता था वो उसे याद रखने में मदद करने के लिये मेमोरी गेम का उपयोग करके उसकी विचार प्रक्रियाओं को बढ़ाती हैं। वे हर्षिता के नंबरों पर भी नज़र रखती हैं और शैक्षणिक प्रगति दिखाने पर उसे प्रोत्साहन और सकारात्मक मज़बूती प्रदान करती हैं।
विजय की आँखों में आंसू आ गये जब उन्होंने देखा कि उनकी बेटी के अच्छे नंबर आने लगे हैं। "अब, कोई शिकायत नोट नहीं!" उन्होंने हमें बताया। उन्होंने खुद केवल 9वीं कक्षा तक पढ़ाई की है लेकिन उन्हें इस बात पर गर्व है कि उन्होंने अपने जीवन में अच्छा ही किया है। वे कहते हैं, ''मेरे पिता ने मुझे और मेरे चार भाई-बहनों को स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया।'' “शिक्षा और कौशल हासिल करना ही पर्याप्त नहीं है। आपको इसका उपयोग करने में सक्षम होना होगा।”
घर पर, हर्षिता को संगीत सुनना और टीवी देखना पसंद है, विशेष रूप से कपिल शर्मा कॉमेडी शो और यूट्यूब वीडियो, विशेष रूप से ड्राइंग के बारे में व्लॉग - कुछ ऐसा जिसे करने में उसे आनंद आता है। उसका पसंदीदा फल स्ट्रॉबेरी है और स्कूल में उसका सबसे अच्छा दोस्त जसप्रीत है। उसकी हार्दिक इच्छा है कि "मैं अपने भाई की तरह अच्छे नंबर ला सकूँ और अपने माता-पिता को गौरवान्वित करूँ"।