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“नए कपड़े, मेकअप और परफ्यूम मेरी कुछ पसंदीदा चीज़ें हैं। साथ ही, देर रात टीवी सीरियल देखना भी”

उनकी काली आँखें दमकती और चमकती हैं, अक्सर जोश-खरोश के साथ लेकिन कभी-कभी, जब वह खराब मूड में होती है, तब गुस्से से। केंद्र शासित प्रदेश दीव में रहने वाली अस्मिता रतिलाल कपाड़िया (28) को सेरेब्रल पाल्सी (सी.पी.) है, लेकिन वह चुलबुली सी उत्साह का पुलिंदा हैं। हालाँकि वो बोलती नहीं हैं, लेकिन वो लोगों के आसपास रहना पसंद करती हैं और हथेलियों को जोड़कर उन्हें 'नमस्ते' कहती हैं।
 
अस्मिता के पिता रतिलाल कपाड़िया मछुआरे थे। जब वो चार साल की थीं तब उनकी मृत्यु हो गई और उनकी माँ जयाबेन ने अपने पाँच बच्चों - बेटी भारतीबेन, बेटा अश्विनभाई, एक और बेटी जिसको सी.पी. था लेकिन जिसकी चार साल की उम्र में मृत्यु हो गई, अस्मिता और उनका छोटा भाई मनीष - को पालने के लिए मछली बेचना शुरू किया। जयाबेन अपने बच्चों को खिला सकती थीं लेकिन उन्हें पढ़ा नहीं सकती थीं - अकेले मनीष ने ही हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की। सौभाग्य से उनके सिर पर अपनी छत थी - जिसे उन्होंने हाल ही में कंक्रीट में अपग्रेड किया था।
 
उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए, अस्मिता के आगे बढ़ने की संभावना शून्य से बहुत कम होती। लेकिन, दीव भाग्यशाली था कि वहाँ वात्सल्य स्पेशल स्कूल था, जिसे आदरणीय उस्मानभाई वोरा ने शुरू किया था, जिनके बेटे रिजवान को सी.पी. है। जयाबेन याद करती हैं कि 1999 में जब अस्मिता ने स्कूल जाना शुरू किया तो उन्हें स्कूल ले जाना पड़ता था क्योंकि वह न तो चल सकती थीं और न ही उठ सकती थीं। कुछ वर्षों में उनकी गतिशीलता में बुनियादी सुधार हुआ - छह साल की उम्र तक वो बैठ पाती थीं और छड़ी के सहारे से चल पाती थीं, और आठ साल की उम्र तक वो अपनी रोज़मर्रा के कामों को संभालने में सक्षम हो गई थीं। वो चम्मच चला सकती थीं, अपने आप खाना खाना शुरू कर दिया था, और अपने कपड़े खुद पहन पाती थीं।
 
जिन लोगों को सी.पी. होता है उनके लिए शारीरिक तालमेल और ठीक तरह से चलना-फिरना (मोटर कौशल) हमेशा एक बड़ा संघर्ष होता है; उनके शरीर झटकेदार, बेकाबू हरकतों का अनुभव करते हैं। अस्मिता के मामले में, सी.पी. ने उनके बोलने की क्षमता को भी प्रभावित किया है और वो इशारों से बातचीत करती हैं। वे 18 वर्ष की थीं जब वो लिखने के लिए अपनी उंगलियों को घुमाने में कामयाब रहीं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने उल्लेखनीय सुधार किया है। उन्होंने 2015 में दीव सरकार द्वारा आयोजित व्हीलचेयर रेसिंग प्रतियोगिता में एक ट्रॉफी भी जीती थी!

नृत्य और वाद्य यंत्र बजाना स्कूल के पाठ्यक्रम का हिस्सा है और इसलिए छात्रों को अपने अंगों को एक साथ हिलाने का पर्याप्त अभ्यास मिलता है। वात्सल्य के स्टाफ में 15 लोग हैं जो सी.पी., ऑटिज्म, बौद्धिक और सीखने की अक्षमता जैसी विभिन्न अक्षमताओं वाले बच्चों की देखभाल करते हैं। ये शुल्क नहीं लेते हैं और मुफ्त भोजन, वर्दी और परिवहन प्रदान करते हैं। 18 वर्ष की आयु के बाद छात्रों को व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है। वे चूल्हा चलाना, चाय बनाना, कपड़े सिलना और इस्त्री करना सीखते हैं, और अन्य कार्य करते हैं जो उनके स्वतंत्र जीवन में सहायता करते हैं। वे डोरमैट, मोमबत्तियाँ, कागज़ के कटोरे और अन्य हस्तकला के सामान भी बनाते हैं जिन्हें स्कूल बाज़ार में बेचता है। इससे होने वाली आय वात्सल्य को चलाने की लागत को पूरा करने के लिए इस्तेमाल होती है।
 
जयाबेन ने गुजराती से अनुवाद करने वाले एक स्थानीय दुभाषिये नीलेश के माध्यम से बात करते हुए कहा, "उस्मानभाई उनकी ऐसे देखभाल करते हैं जैसे कि वे उनके अपने बच्चे हों"। "ऐसा लगता है जैसे वो हमारे परिवार का हिस्सा हैं।" जयाबेन ने बताया, एक रिक्शा अस्मिता को सुबह 9 बजे स्कूल ले जाता है। उसे सुबह 10.30 बजे नाश्ता और दोपहर 1.45 बजे तक खाना दिया जाता है और शाम 5 बजे उसे घर छोड़ दिया जाता है। उस्मानभाई ने अन्य छात्रों के साथ अस्मिता के जो छोटे, रीयल-टाइम वीडियो हमें भेजे थे, जो बहुत कुछ बता रहे थे। हमने उन्हें संगीत पर डांस स्टेप्स करते और रिजवान के साथ डोरमैट बुनते और मोमबत्तियां बनाते हुए देखा।
 
फिजियोथेरेपी अभ्यास अस्मिता की दिनचर्या का एक अभिन्न हिस्सा है और मनीष अक्सर अभ्यास करने में उनकी सहायता करते हैं। मनीष, जो 25 वर्ष के हैं, उनकी कोई नियमित आय नहीं है और वे ज़्यादातर घर में अपनी माँ की मदद करते हैं। अश्विनभाई (30) एक होटल कर्मचारी हैं और भारतीबेन (32) शादीशुदा हैं और पास के एक गाँव में रहती हैं। 

अस्मिता को मेकअप करने और परफ्यूम लगाने का शौक है। नए कपड़े पहनना उनके लिए एक विशेष आनंद होता है। मांसाहारी भोजन उन्हें स्वाद लगता है और मछली उन्हें बहुत पसंद है। अपने खाली समय में वे पड़ोसियों के साथ मिलती जुलती हैं, उनके बच्चों के साथ खेलती हैं, अपनी माँ के मोबाइल पर गेम खेलती हैं और देर रात तक स्टार प्लस के टीवी सीरियल देखती हैं। वे यात्रा करना पसंद करती हैं और उन्होंने गुजरात के सभी लोकप्रिय पर्यटन स्थलों का दौरा किया है - स्टैच्यू ऑफ यूनिटी उनकी सूची में अगला है।



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विक्की रॉय