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“मुझे पार्क में जाना और झूला झूलना पसंद है। और लोगों को पीटना अच्छा लगता है।"

अंडमान के प्रेम नगर में एक छह साल का लड़का रहता है, जिसे बार-बार गुस्सा आता है। आर्यन बिस्वास न तो लोगों की बात समझ पाता  है और न ही खुद को समझा पाता  है। उसे निराश होने का पूरा अधिकार है, क्या आपको नहीं लगता?
 
जब उसकी माँ  माफिया खातून (30) ने अपने बेटे की पसंद-नापसंद के बारे में हमारे सवाल का जवाब देते हुये मासूमियत से जवाब दिया: “उसे चीजें तोड़ने में मज़ा आता है, और उसे लोगों को पीटना अच्छा लगता है” तो हमें समझ नहीं आया कि हंसें या रोएं! माफिया, जिनके पति की चार साल पहले मृत्यु हो गई थी, दो घरों में घरेलू कामगार के रूप में काम करती हैं  और प्रति माह ₹8,000 से कम कमाती हैं। “मैं उसे अच्छी तरह से बड़ा करना चाहती हूँ। वे कहती हैं, वो जो भी मांगता है मुझे उसे देना पड़ता है।”
 
जब वे महज़ 12 साल की थीं, तब माफिया अपने परिवार के साथ कलकत्ता से अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में आ गईं। उन्होंने आठवीं कक्षा के बाद स्कूल छोड़ दिया। शादी के बाद, और जब आर्यन सिर्फ दो साल का था, उनके पति की मृत्यु हो गई। उन्हें अकेले ही उसका पालन-पोषण करना पड़ा, हालाँकि उनकी माँ और भाई पास ही रहते हैं।
 
स्थानीय आंगनवाड़ी (सरकार द्वारा संचालित ग्रामीण बाल देखभाल केंद्र) के शिक्षकों को आश्चर्य हुआ कि जब उन्होंने आर्यन को बुलाया तो उसने प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी। माफिया उसे कान की जाँच के लिये अस्पताल ले गयीं; इससे पता चला कि आर्यन के बाएं कान से सुनने की क्षमता पूरी तरह से खत्म हो गई है और दाहिने कान से सुनने की क्षमता 80% कम हो गई है। डॉक्टरों ने उसे सुनने की मशीन लगाई, जिसके लिये माफिया ने अपनी छोटी बचत से लगभग ₹6,000 खर्च किये। फिर उन्होंने उसे एक मुख्यधारा के स्कूल - मिडल प्वाइंट, पोर्ट ब्लेयर में गवर्नमेंट डिमॉन्स्ट्रेशन मल्टीपर्पज स्कूल (GDMS) में भर्ती कराया।
 
चलो समस्या हल हो गई! एक औसत व्यक्ति यही सोचेगा, जब तक उसे यह पता न चल जाये कि सुनने की मशीन लगाने और उसके रखरखाव की प्रक्रिया में क्या चीज़ें शामिल होती हैं। ऑडियोलॉजिस्ट को प्रवर्धन (ऐम्प्लफकेशन) को सही ढंग से संतुलित करना होता है, और यह सुनिश्चित करना होता है कि सुनने वाली मशीन आराम से कान में फिट हो। उपयोगकर्ता को यह सीखना होता है कि इसे कैसे साफ़ और रखरखाव करना है, बैटरी कैसे बदलनी है, और इसे विभिन्न प्रवर्धन (ऐम्प्लफकेशन) स्तरों पर कैसे प्रोग्राम करना होता है। शांत वातावरण में इसे दिन में कुछ घंटों तक पहनने से लेकर, उन्हें इसे शोर-शराबे वाली या भीड़-भाड़ वाली जगहों पर अधिक समय तक पहनने की ओर आगे बढ़ना होता है।
 
यह कहना मुश्किल है कि क्या माफिया ने ये सभी ज़रूरी कदम उठाये थे, छोटे आर्यन की तो बात ही छोड़िए। उसने स्कूल में अपने टीचरों को जवाब देना शुरू कर दिया, और बाद में, जब उसने पाया कि वह उन्हें अच्छी तरह से नहीं सुन पाता है, तो उसने अपनी मशीन को फर्श पर पटक दिया। माफिया का कहना है कि ऐसा दो बार हुआ और मशीन मरम्मत के लायक नहीं रही। माफिया का कहना है कि उन्होंने लगभग चार महीने पहले आर्यन के लिये यूडीआईडी (विकलांगता कार्ड) के लिये आवेदन किया था और उसे सरकार द्वारा जारी सुनने की मशीन दिलाने का इरादा रखती हैं।
 
इस बीच, उन्हें विशेष आवश्यकता शिक्षक एम. भवानी (30) के रूप में कुछ राहत मिली। भवानी को उनके 12वीं कक्षा के शिक्षक ने कहा था, “आप बच्चों के साथ बहुत अच्छी हैं, आपको शिक्षा में शामिल होने का प्रयास करना चाहिये। अंडमान में इस क्षेत्र में ज़्यादा लोग नहीं हैं।” तदनुसार, उन्होंने शिक्षा में डिप्लोमा पूरा किया और वर्तमान में सर्व शिक्षा अभियान योजना के तहत शिक्षा विभाग के साथ अनुबंध पर हैं।
 
एक अन्य शिक्षक के साथ, भवानी पोर्ट ब्लेयर के जंगली घाट में एक नए शुरू किये गये संसाधन केंद्र में शाम की कक्षाएं चलाती हैं। वे 4-15 वर्ष की आयु के 25 विकलांग बच्चों को पढ़ाती हैं। 2.5 घंटे तक चलने वाले सत्रों में वे व्यक्तिगत शिक्षण, समूह शिक्षण और सहकर्मी शिक्षण जैसी विधियों का उपयोग करती हैं। वे कौशल के विकास – लिखना, पढ़ना, ग्रहणशीलता/सीखना, भावात्मक, व्यवहार-संशोधन, एडीएल (दैनिक जीवन की गतिविधियाँ), नृत्य और योग - पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
 
भवानी बधिर और श्रवण बाधितों के साथ-साथ औसत बच्चों को भी सांकेतिक भाषा सिखाती हैं। आर्यन की उपस्थिति अनियमित रही है क्योंकि माफिया को काम के बीच उसे केंद्र में ले जाने के लिये हमेशा समय नहीं मिल पाता है। भवानी कहती हैं, ''जब उनसे प्यार से बात की जाती है तो वह अच्छी तरह से जवाब देते हैं।'' “क्योंकि वो समझ नहीं पाता कि उसके आसपास क्या हो रहा है, वो गुस्सा हो जाता है। यदि उसके पास सुनने की मशीन है तो मैं उसे स्पीच थेरेपी दे सकती हूँ। समर्थन के साथ, वो जल्दी से आगे बढ़ने में सक्षम होगा, क्योंकि वो बहुत छोटा है।
 
माफिया खुश होती हैं जब "भवानी मैम उन्हें हर शनिवार को खेलने के लिये स्टेडियम ले जाती हैं"। वे कहती हैं कि आर्यन को पार्क में खेलना-कूदना और झूले पर खेलना पसंद है। उसके लिये कॉक्लियर इम्प्लांट कराना उनकी क्षमता से परे है। हम आशा करते हैं कि उसे श्रवण यंत्र मिल जाये, और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उसे इसे अच्छी स्थिति में रखने में सहायता की जाये। तभी उसे नियमित स्कूली शिक्षा का लाभ मिल सकेगा।


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विक्की रॉय