जब हमने उनसे बात की तो बेंगलुरू के आदित्य वी. (36) अपनी आगामी पहली अमेरिकी यात्रा को लेकर बहुत उत्साहित थे। उन्होंने और उनके छोटे भाई अच्युत, मिशिगन में एक ऑटोमोबाइल कंपनी में कार्यरत थे, ने दर्शनीय स्थलों पर घूमने की योजना बनाई थी। उनकी माँ पहले ही जा चुकी थीं और वो अपने पिता के साथ वहाँ उनसे मिलेंगे।
लेकिन आदित्य अपनी नौकरी को लेकर भी चिंतित थे। क्या उनके लौटने पर भी उनकी नौकरी रहेगी? उन्होंने विंध्य ई-इन्फोमीडिया के सीईओ पवित्रा गिरी को अपना अवकाश पत्र सौंपा। उन्होंने लिखा, "मैं वापस आऊंगा और जुलाई में जॉइन करूंगा"। "मैं वहाँ नई चीजें सीखूंगा और वापस आऊंगा।" पवित्रा को जानते ही हैं, उन्होंने वह पत्र स्नेही मुस्कान के साथ पढ़ा होगा।
विंध्य को मुख्य रूप से विकलांग व्यक्तियों को नियुक्त करने पर गर्व है जिनमें से आदित्य एक हैं। उन्हें बॉर्डरलाइन बौद्धिक विकलांगता (ID) है डाइग्नोस किया गया था, लेकिन उनकी माँ गीता वेंकटरामु, जो एक योग्य पेशेवर हैं, ने भी स्वलीनता (ऑटिज़म ) के लक्षण उनमें देखे - जैसे एक ही व्यवहार दोहराना, संवेदी मुद्दे (उन्हें शोर, भीड़ और नरम वस्तुओं की भावना पसंद नहीं है) और एक विशेष व्यवस्था में चीजें पसंद करना।
आदित्य के इंजीनियर पिता सी.एस. वेंकटरामु आदित्य के जन्म के समय विश्वेश्वरैया आयरन एंड स्टील लिमिटेड, भद्रावती में कार्यरत थे। वो एक स्वस्थ और जीवंत बच्चा था जिसे डॉक्टरों ने कहा था "अमूल के लिये विज्ञापन दे सकता है"! पोलियो और खसरे के टीके की उनकी तीसरी खुराक (जो शायद बिना रेफ्रिजरेटेड थी) से एलर्जी की प्रतिक्रिया के बाद उनके विकास की गति में देरी हुयी। वे बेहतर संभावनाओं (वेंकटरामु को कॉर्पोरेशन बैंक में नौकरी मिल गयी थी) और बेहतर चिकित्सा सहायता प्राप्त करने के लिये दिल्ली चले गये।
गीता ने खुद को अपने बच्चे को समर्पित कर दिया जो अब प्लेस्कूल के लिये तैयार था। वो उसे उसकी उंगली की निपुणता और हाथ-आँख के तालमेल में सुधार के लिये पेशेवर चिकित्सा के लिये ले गयीं। प्लेस्कूल में आदित्य के सीखने का तरीका अलग था। वो स्मृति से बता सकता था कि 45 पेज़ की किताब के किस पेज़ पर कौन सा चित्र था, लेकिन वर्णमाला सीखने का उसका अपना तरीका था, जो A से Z अनुक्रम का पालन नहीं करता था।
यह सुनकर कि बंगलौर के में बेहतर अवसर थे, वेंकटरामू ने मांग की, और उन्हें तुरंत ट्रान्सफर प्रदान किया गया। कॉमर्स ग्रेजुएट गीता ने खुद को ID के बारे में ज्ञान से पूरी तरह से लैस करने का फैसला किया। वे कर्नाटक की स्पास्टिक्स सोसाइटी की संस्थापक रुक्मिणी कृष्णास्वामी से मिलीं, जिन्होंने ID वाले बच्चों के माता-पिता के लिये राज्य संघ केपीएएमआरसी (KPAMRC) का नेतृत्व किया। उसने KPAMRC के दो डिप्लोमा कोर्स किये: मानसिक मंदता (जो तब ID के रूप में जाना जाता था) और सीखने की अक्षमता, और इज़राइली मनोवैज्ञानिक रियूवेन फ्यूरस्टीन के इंस्ट्रुमेंटल एनरिचमेंट प्रोग्राम को सीखने के लिये चेन्नई गयी थीं।
इस बीच, कोई भी विशेष स्कूल आदित्य के अनुकूल नहीं था, इसलिये उन्होंने श्रीमती थंगम राजगोपालन द्वारा संचालित डायनम वोकेशनल एंड स्किल ट्रेनिंग सेंटर को चुना, जिन्होंने उन्हें एक विशेष केस के रूप में स्वीकार किया। गीता याद करती हैं, "13 साल की उम्र में, वो सबसे छोटा छात्र था"। "यह 1999-2007 तक उनका स्वर्णिम काल था।" उन्होंने अकादमिक के साथ-साथ सामाजिक कौशल और जीवन कौशल की एक श्रृंखला में एक आधार प्राप्त किया। बाद में जब उन्होंने तीन महीने का कंप्यूटर कोर्स ज्वाइन किया तो उन्होंने कक्षाओं में भाग लेने के लिये बस से अकेले यात्रा की। अच्युत ने उनके व्यक्तित्व के विकास में काफी मदद की।
आदित्य हमेशा गले में पहचानपत्र लटकाने वाली डोरियों की प्रशंसा करते थे जो अच्युत और उनके चचेरे भाई काम पर जाते समय पहनते थे। जब उन्हें अपना खुद का एक नेम टैग पहनने को मिला तो वे बहुत खुश हुये! वेंकटरामु और गीता, पवित्रा और अशोक गिरि और विंध्य के सभी लोगों के उनके सपने को पूरा करने के लिये आभारी हैं। वे कहते हैं, "विंध्य ने उन्हें मानसिक, सामाजिक, आर्थिक रूप से विकसित होने के पर्याप्त अवसर दिये... और परिवार को मानसिक शांति प्रदान की"।
आदित्य ने व्यवस्थित रूप से हमारे लिये अपनी दिनचर्या का वर्णन किया: सुबह 6 बजे उठो, 6.45 तक योगासन करो जो उनके पिता ने उन्हें सिखाया है, ऑफिस के लिये तैयार हो जाओ, 8.15 बजे बीएमटीसी बस पकड़ो जो 15 कि.मी. जाने के लिये 45-60 मिनट का समय लेती है, 9.30 बजे पंच इन, दोपहर 2 बजे घर का बना टिफिन खाओ, 5.30 बजे निकलो, 6.45 बजे घर पहुँचो। वो एचआर असिस्टेंट हैं, जो रोजाना नौकरी के लिये इंटरव्यू के लिये आने वाले 15-20 उम्मीदवारों का चार्ज लेते हैं। उनके कर्तव्यों में उनका स्वागत करना और बैठना, उनके दस्तावेजों की जांच करना, उन्हें संबंधित साक्षात्कारकर्ता के पास ले जाना, चुने गये उम्मीदवारों को शामिल होने की औपचारिकताओं में मदद करना और उनकी फाइलों को फ़ोल्डरों में व्यवस्थित करना शामिल है।
आदित्य ने विंध्य के हर ग्राहक के नाम - पेन्सिलॉन, सी 9, बिंदो, लॉयल्टी, विप्रो ऑनसाइट, डॉटजॉब, उज्जीवन इत्यादि – फटाफट बता डाले और वेंकटरामु ने हमें आदित्य की स्मृति शक्ति के बारे में बताया: उन्हें हर जन्मदिन याद है, कौन से मेहमान आये और किस साल मेंक्या उपहार दिया। वो विष्णु सहस्रनामम (जो गीता ने उन्हें शांत करने के लिये इसेमाल किया था जब वो एक हाइपर-एक्टिव बच्चे थे) और हनुमान चालीसा जानते हैं, और वर्तमान में भगवद गीता को याद कर रहे हैं (अध्याय 12 और 2 हो चुके हैं)।
आदित्य ने अपने पसंदीदा मनोरंजन को सूचीबद्ध किया: संगीत सुनना (एमएस सुब्बुलक्ष्मी, द हैदराबाद ब्रदर्स, येसुदास), टीवी धारावाहिक देखना (सीआईडी, कमला, बड़े अच्छे लगते हैं), और अखबार में दैनिक सुडोकू पहेली को हल करना ("मैं ज़्यादा से ज़्यादा 15 से 20 मिनट लेता हूँ”)।
इस बीच गीता एक स्वतंत्र सलाहकार के रूप में काम कर रही हैं। वे कहती हैं, "मैं नहीं चाहती कि दूसरे माता-पिता ऐसी ही लंबी यात्रा से गुजरें"। "मैं इसे उनके लिये आसान बनाना चाहती हूँ।"