हमारे जो साथी बेंगलूरु में इंडिया इंक्लूजन समिट (IIS) का हिस्सा बनते रहे हैं, उनके लिए इसकी टैगलाइन "एवरीबडी इज गुड एट समथिंग" किसी पुरानी, लेकिन मन को सुकून और ताज़गी देने वाली धुन जैसी है। कुछ उसी तरह जैसे का हमारा ये "इन्क्लूजन ट्री", जिसकी अलग अलग शाखाओं में अलग अलग रंग के पक्षी एक साथ रहते हैं। ये स्लोगन IIS का बुनियादी मकसद है, जिसे हमने शारीरिक तौर पर अक्षम लोगों की विशेषताओं को पूरी दुनिया तक पहुँचाने के लिए चुना है। जबकि ये विशाल पेड़ विभिन्नताओं को उनके समूचे वजूद और ख़ासियत के साथ ख़ुद में समाहित कर लेने का प्रतीक हैं, IIS इंडिया इन्क्लूज़न फ़ाउंडेशन (IIF) के समर्पित एवं जुनूनी वॉलन्टियर्स की मेहनत और लगन का नतीजा है, जो एक ऐसे समावेशी और सबको साथ लेकर चलने वाले भारत के लिए प्रयासरत हैं। एक ऐसा भारत जहाँ हर किसी के पास बराबरी के मौक़े हों, सफ़र में कोई भी पीछे न रह जाए...
IIS के मंच पर आप हर साल जिन अनजाने सितारों से मिलते हैं, वो तो सिर्फ़ एक हल्की सी झलक भर हैं, दरअसल इस देश में ऐसे न जाने कितनी कहानियां हैं, न जाने कितने लोग हैं, जो औरों से अलग होते हुए, शारीरिक तौर पर कुछ कमतर होते हुए भी, दूसरों के लिए प्रेरणा हैं। भारत के इस विशाल कैनवस में ये ख़ूबसूरत रंग भी जगह पा सके, अपनी कहानियों से समाज की मुख्यधारा पर छाप छोड़ सकें, इसलिए IIF ने तस्वीरों की ज़ुबानी (कई बार वीडियो स्टोरी भी) एक मुहिम शुरू की है- "एवरीवन इज़ गुड एट समथिंग" (हर कोई अपने आप में विशेष है) जाने माने फ़ोटोग्राफ़र विकी रॉय देश के दूर दराज़ के हिस्सों में, लगभग गुमनामी और मुश्किल हालात में अपनी ज़िंदगी गुज़ार रहे PWD (शारीरिक तौर पर अक्षम) लोगों की कहानियाँ कैमरे में क़ैद करेंगे। इसके लिए विकी रॉय पूरा भारत घूमेंगे और ऐसे सभी लोगों को अपनी तस्वीरों के ज़रिए दुनिया के सामने लाएंगे। हम हर हफ़्ते एक नए रंग, नए अंदाज़ और अलग तरह की ख़ूबियों वाली एक नई शख्सियत के बारे में जानेंगे, उनकी कहानी पढ़ेंगे- ऐसी कहानी जो अपनी सीमाएं तोड़ कर आसमान को मुठ्ठी में भर लेने को बेताब हैं।